अब पांच मिनट में कोचों में भर जाएगा पानी, नहीं हो सकेगी बर्बादी Gorakhpur News
अब रेलवे स्टेशनों पर पानी भरने के नाम पर ट्रेनें लेट होंगी न ही जल की बर्बादी होगी। न ही स्टेशन यार्ड की नालियों में पानी बहकर बर्बाद होगा। जल संचयन तो होगा ही 15 की जगह महज पांच मिनट में ही ट्रेन के सभी कोचों में पानी भर जाएगा।
गोरखपुर, जेएनएन : अब रेलवे स्टेशनों पर पानी भरने के नाम पर ट्रेनें लेट होंगी न ही जल की बर्बादी होगी। न ही स्टेशन यार्ड की नालियों में पानी बहकर बर्बाद होगा। जल संचयन तो होगा ही, 15 की जगह महज पांच मिनट में ही ट्रेन के सभी कोचों में पानी भर जाएगा। इसके लिए पूर्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर सहित सभी प्रमुख स्टेशनों पर अति आधुनिक क्विक वाटरिंग सिस्टम लगाया जाएगा।
सभी प्लेटफार्मों पर शुरू हो चुकी है वाटरिंग सिस्टम लगाने की प्रक्रिया
गोरखपुर जंक्शन के सभी नौ प्लेटफार्मों पर क्विक वाटरिंग सिस्टम लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जबकि, ऐशबाग, मंडुआडीह और फर्रुखाबाद स्टेशनों पर यह सिस्टम कार्य करने लगा है। दरअसल, पुरानी व्यवस्था होने के चलते ट्रेन की कोचों में पानी भरने की प्रक्रिया पूरी होने में 30 से 45 मिनट लग जाते हैं। अनावश्यक समय लगने के अलावा इस प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में पानी बर्बाद भी हो जाता है। प्लेटफार्म खाली नहीं होने से पीछे वाली ट्रेनें भी विलंबित होती हैं। गर्मी के दिनों में पानी की अधिक खपत होने के चलते यह समस्या और बढ़ जाती है। यही नहीं रेलवे प्रशासन विलंबन के डर से कोचों में पानी समाप्त होने के बाद भी ट्रेनों को स्टेशनों पर नहीं रोकता है। ट्रेनें चलती रहती हैं और यात्री पानी के बिना परेशान रहते हैं। नया सिस्टम लग जाने से यात्रियों की समस्या तो दूर होगी ही स्टेशन प्रबंधन की कार्य प्रणाली भी आसान हो जाएगी। पानी की बर्बादी भी रुकेगी।
कम समय में भरा जा सकेगा पानी
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने कहा कि ऐशबाग, मंडुआडीह और फर्रुखाबाद में क्विक वाटरिंग सिस्टम लगाया जा चुका है। गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर भी यह कार्य स्वीकृत है। इस सिस्टम से पासिंग ट्रेनों में बहुत कम समय मे पानी भरा जा सकेगा। यात्रियों को बेहतर सुविधा मिलेगी। वर्षा जल संचयन हो या जल का पुन: चक्रण कर उसका संरक्षण। रेलवे जल संरक्षण की दिशा में निरंतर प्रयासरत है।