Coronavirus से निपटने को पूर्वोत्तर रेलवे ने 11 स्टेशनों पर तैयार किए 217 आइसोलेशन वार्ड Gorakhpur News
Coronavirus से निपटने को पूर्वोत्तर रेलवे ने 11 स्टेशनों पर तैयार किए 217 आइसोलेशन वार्ड तैयार किए हैं। सरकार की मांग में इसे तत्काल उपलब्ध करा दिया जाएगा।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस से दो-दो हाथ करने के लिए रेलवे पहले से ही तैयार है। बढ़ते संक्रमण में रेलवे ने अपनी तैयारी और पुख्ता कर ली है। किसी भी विषम परिस्थिति से निपटने के लिए रक्षक कोच के रूप में तैयार किए गए 217 आइसोलेशन वार्ड को पूर्वोत्तर रेलवे के 11 स्टेशनों पर खड़ा कर दिया गया है।
राज्य सरकार की मांग पर निर्धारित स्टेशनों पर तुरंत पहुंच जाएंगे रक्षक कोच
राज्य सरकार या जिला प्रशासन की मांग पर रक्षक कोच निर्धारित स्टेशन पर तुरंत पहुंच जाएंगे। पूर्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर में तीन, लखनऊ जंक्शन, बहराइच, बस्ती, सीतापुर, बढऩी, छपरा, वाराणसी सिटी, गाजीपुर सिटी, बरेली में एक-एक तथा लखीमपुर में दो रक्षक कोच के रेक खड़े हैं। शयनयान श्रेणी वाले प्रत्येक रक्षक कोचों के साथ पार्सल यान और एक-एक एसी कोच भी लगाए गए हैं।
एक कोच में आठ केबिन, खिड़कियों पर मच्छरदानी
प्रत्येक कोच में मरीजों के लिए आठ केबिन बने हैं। एक केबिन में एक मरीज का इलाज होगा। चिकित्सक के लिए अलग केबिन है। कोच के एक टॉयलेट को तोड़कर बाथरूम बनाया गया है। जिसमें हैंडल टैब लगे हैं। प्रत्येक कोच में दो आक्सीजन सिलेंडर और तीन डस्टबिन रखे गए हैं। खिड़कियों पर म'छरदानी लगी है। पंखे और लाइट की समुचित व्यवस्था है।
रक्षक कोच के लिए चिह्नित किए गए हैं 20 रेलवे स्टेशन
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आइसोलेशन वार्ड के लिए भारतीय रेलवे के 215 स्टेशनों को चिह्नित किया है। पूर्वोत्तर रेलवे के 20 स्टेशन भी शामिल हैं। जिसमें गोरखपुर, लखनऊ जंक्शन, वाराणसी सिटी, मंडुआडीह, बलिया, मऊ, गाजीपुर सिटी, आजमगढ़, छपरा, सिवान, भटनी, गोंडा, नौतनवां, बरेली सिटी, फर्रुखाबाद, काशीपुर, काठगोदाम, रामनगर और कासगंज शामिल हैं। इन स्टेशन वाले क्षेत्रों में संक्रमण बढऩे पर हल्के लक्षण वाले संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए रक्षक कोचों का उपयोग किया जाएगा।
पूर्वोत्तर रेलवे में एक वर्ष में नहीं हुई है एक भी दुर्घटना
मानव रहित समपार फाटकों (अनमैंड क्रासिंग) के व्यवस्थित होते ही दुर्घटनाओं पर पूरी तरह से अंकुश लग गया है। पूर्वोत्तर रेलवे में तो पिछले एक वर्ष में एक भी रेल दुर्घटना नहीं हुई है। फिलहाल, भारतीय रेलवे में एक भी मानव रहित समपार फाटक नहीं बचे हैं। फाटकों पर जंजीर लगाकर पूर्व सैनिकों की तैनाती कर दी गई है। अब इन समपार फाटकों पर गेटमैन की तैनाती कर या अंडरपास बनाकर स्थाई रूप से बंद किया जा रहा है। वर्तमान में पूर्वोत्तर रेलवे में लगभग दो हजार समपार फाटक हैं, जिसमें 18 सौ पर गेटमैन तैनात हैं। इसके बाद भी लोग नियम-कानून को ताक पर रखकर क्रासिंग पार करने से बाज नहीं आते। आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से इस वर्ष 11 जून को अंतरराष्ट्रीय समपार जागरूकता दिवस मनाया जाएगा। पूर्वोत्तर रेलवे में भी विविध कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को जागरूक किया जाएगा।
छह माह में व्यवस्थित हो गई समस्त अनमैंड क्रासिंग
26 अप्रैल 2018 को तमकुही रोड और दुदही स्टेशन के बीच अनमैंड क्रासिंग पर हुई भीषण दुर्घटना में 13 नौनिहाल असमय काल के गाल में समा गए। कुशीनगर जिले की इस इस हृदयविदारक घटना ने रेल मंत्रालय तक की आंखें खोल दी। देश भर के अनमैंड क्रासिंग बंद होने लगीं। पूर्वोत्तर रेलवे ने तो छह माह में सभी क्रासिंग को व्यवस्थित कर दिया। परिणाम सामने है।