Move to Jagran APP

Lockdown में बढ़ी नार्मल डिलीवरी, पचास फीसद कम हुए ऑपरेशन

Lockdown में नार्मल डिलीवरी का चलन बढ़ गया। केवल गोरखपुर में ही पचास फीसद कम हुए ऑपरेशन हुए।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 08:02 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 07:28 AM (IST)
Lockdown में बढ़ी नार्मल डिलीवरी, पचास फीसद कम हुए ऑपरेशन
Lockdown में बढ़ी नार्मल डिलीवरी, पचास फीसद कम हुए ऑपरेशन

गोरखपुर, जेएनएन। लॉकडाउन में निजी अस्पताल बंद हुए तो सरकारी अस्पतालों में नार्मल डिलीवरी की संख्या बढ़ गई। सिजेरियन बहुत कम हुए। सामान्य दिनों में सिजेरियन के मामले ज्यादा होते थे, नार्मल कम। लॉकडाउन एक में 97 सिजेरियन तो 208 नार्मल हुई। यही स्थिति चारो लॉकडाउन के दौरान रही। हालांकि मरीजों की संख्या बहुत कम हो गई थी। सामान्य दिनों में जिला महिला अस्पताल में जहां औसत 25 डिलीवरी होती थी, वहीं लॉकडाउन में यह घटकर 10-12 पर आ गई। मेडिकल कॉलेज में सामान्य दिनों में रोज लगभग 15 प्रसव हो जाते थे, लॉकडाउन में प्रसव की संख्या घटकर पांच-छह हो गई ।

loksabha election banner

जिला महिला अस्पताल में जो गर्भवती पहुंचीं उनमें से ज्यादातर की डिलीवरी नार्मल हुई। लॉकडाउन के चलते ज्यादातर गर्भवती महिला अस्पतालों में नहीं पहुंच पाईं। उनका प्रसव गांव में ही परंपरागत तरीके से कराया गया। 23 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के बाद 31 मई तक यही स्थिति रही। ऐसे माना जाता है कि निजी अस्पतालों में ऑपरेशन से प्रसव के मामले ज्यादा होते हैं, क्योंकि लोग सुविधा तलाशते हैं। वहां 15 हजार से लेकर 70 हजार रुपये तक खर्च आता है। ऐसे में सरकारी अस्पतालों में हुई डिलीवरी में बड़ा खर्च बचा।

नार्मल डिलीवरी व सिजेरियन

लॉकडाउन एक

24 मार्च से 13 अप्रैल

नार्मल 208, सिजेरियन 97

लॉकडाउन दो 

14 अप्रैल से 3 मई

नार्मल 173, सिजेरियन 77

लॉकडाउन तीन

4 से 17 मई

नार्मल 137, सिजेरियन 64

लॉकडाउन चार

18 से 31 मई

नार्मल 109, सिजेरियन 69

लॉकडाउन खुलने के बाद अब मरीजों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। प्रतिदिन 10-12 डिलीवरी होती थी, उनकी संख्या अब 15-16 तक पहुंचने लगी है। बहुत जरूरी होने पर ही ऑपरेशन किया जाता है। पूरी कोशिश की जाती है कि डिलीवरी नार्मल ही हो। - डॉ. आनंद प्रकाश श्रीवास्तव, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, जिला महिला अस्पताल।

डिजिटल बैंकिंग का चलन भी बढ़ा

लॉकडाउन के दौरान बैंकों में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में सौ फीसद की वृद्धि हुई है। जनधन खातों के ग्राहकों को छोड़कर अन्य कोई ग्राहक बैंक नहीं पहुंचा। ज्यादातर जनधन खाताधारक भी ग्राहक सेवा केंद्रों से ही अपना काम चला लिए। बैंक शाखाएं खुली रहीं लेकिन ग्राहक एक-दो की संख्या में पहुंच रहे थे। ज्यादातर ग्राहकों ने ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिये पैसों का ट्रांसफर करना शुरू कर दिया। हालांकि ऑनलाइन खरीदारी व  व्यापारियों द्वारा ट्रांजेक्शन नहीं के बराबर था। कर्मचारियों के वेतन आने के साथ ही सामान्य लोग भी ऑनलाइन पैसों का ट्रांसफर किए। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.