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नहीं चाहिए चकबंदी, फत्तेपुर के ग्रामीण लामबंद

तहसील क्षेत्र के गांव फत्तेपुर में चकबंदी होने का फरमान जारी हुआ तो ग्रामीण आक्रोशित हो गए। चकबंदी विभाग के लोग गांव का सर्वे करने जब पहुंचे तो ग्रामीणों ने सभी कर्मचारियों को आक्रोशित हो वापस कर दिया। लोगों का कहना था कि हमें चकबंदी से जो लाभ मिलता वह हम लोग आपसी सहमति से ले रहे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 10:38 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 10:48 PM (IST)
नहीं चाहिए चकबंदी, फत्तेपुर के ग्रामीण लामबंद
नहीं चाहिए चकबंदी, फत्तेपुर के ग्रामीण लामबंद

सिद्धार्थनगर : तहसील क्षेत्र के गांव फत्तेपुर में चकबंदी होने का फरमान जारी हुआ तो ग्रामीण आक्रोशित हो गए। चकबंदी विभाग के लोग गांव का सर्वे करने जब पहुंचे तो ग्रामीणों ने सभी कर्मचारियों को आक्रोशित हो वापस कर दिया। लोगों का कहना था कि हमें चकबंदी से जो लाभ मिलता वह हम लोग आपसी सहमति से ले रहे। न सिचाई में कोई दिक्कत है न ही अपने खेतों तक पहुंचने के लिए मार्ग की।

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असहाय कर्मचारी ज्वाइंट मजिस्ट्रेट जग प्रवेश को आकर अवगत कराएं। गांव के पंचायत भवन में उन्होंने सुबह ग्रामीणों के संग बैठक की। सभी को चकबंदी से होने वाले लाभ को बताया। ग्रामीणों ने फिर वही बात दोहराई की साहब हमें जो लाभ चकबंदी से मिलेगा उसे हम आपसी सहमति से प्राप्त कर रहे। चकबंदी होने से सिर्फ हमारे रकबे में कटौती होगी। साथ ही यह प्रक्रिया हम किसानों के लिए उलझाऊ है। पूरा गांव एक ही समुदाय का है। हमें चकबंदी कदापि नहीं चाहिए। लोगों की बात सुन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने सभी से कहा यदि चकबंदी नहीं चाहिए तो सभी हस्ताक्षर युक्त प्रार्थना पत्र दें जिसे ऊपर भेज इस प्रक्रिया से आपके गांव को वंचित किया जा सके। अताउल्लाह, मो कासिम, इनमुल्लाह, अब्दुल सलाम, मो हासिम, मो सलाम सहित 51 काश्तकारों ने अपना हस्ताक्षर युक्त प्रार्थना पत्र ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के सुपुर्द किया। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का कहना था चकबंदी प्रक्रिया से बहुत लाभ किसानों को मिलता है पर इस गांव एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिला जो चकबंदी होने से सहमत हो। मैंने बहुत समझाया पर काश्तकार एक भी सुनने को तैयार नहीं थे। लिहाजा इस गांव को चकबंदी प्रक्रिया से अलग करने के लिए मैंने लिखा है।


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