मुसीबत में परिवार के लिए संबल बन गईं निशा, दूसरी महिलाएं भी ले रहीं सीख
निशा ने घर से कुछ पूंजी जोड़ी और समूह से करीब एक लाख रुपये का ऋण लेकर सिंगपुर में ही एक फर्नीचर की दुकान डाल दी। निशा कहती हैं कि गृहस्थी अब फिर से पटरी पर आ गई है। अब पति को बाहर जाने की जरूरत नहीं है।
गोरखपुर, जेएनएन। बीते पांच माह ने ब्रह्मपुर विकास खंड के ग्राम पंचायत सिंगपुर की निशा देवी को बड़ी पहचान दी है। कोरोना संक्रमण के दौरान वह घर से मास्क तैयार करके लोगों के बीच निश्शुल्क वितरण करती रहीं। लॉकडाउन के दौरान पति ध्यानचंद का रोजगार छिना तो समूह से ऋण लेकर उन्होंने फर्नीचर की एक दुकान खड़ी कर दी। अब पति दुकान में उनका हाथ बंटाते हैं।
संकट में पति के लिए की दूसरे रोजगार की व्यवस्था
निशा से प्रेरित होकर आज ब्रह्मपुर क्षेत्र के तमाम प्रवासी कामगारों के घर की महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर पति के लिए दूसरे रोजगार की व्यवस्था कर रही हैं।
पांच माह पूर्व तक निशा की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय थी। पति मुंबई में फर्नीचर की एक दुकान पर काम करते थे। इससे किसी तरह परिवार की दाल रोटी चल रही थी, लेकिन मार्च के बाद से वहां भी काम पूरी तरह ठप हो गया। वह घर चले आए। यहां दो माह तक घर बैठने के बाद परिवार के समक्ष समस्या आने लगी।
निशा पिछले दो वर्षों से एक महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने समूह के लोगों के समक्ष यह बात रखी। निशा ने घर से कुछ पूंजी जोड़ी और समूह से करीब एक लाख रुपये का ऋण लेकर सिंगपुर में ही एक फर्नीचर की दुकान डाल दी। धीरे-धीरे आर्डर मिलने शुरू हुए तो लोगों ने उधार देना भी शुरू कर दिया है। निशा कहती हैं कि गृहस्थी अब फिर से पटरी पर आ गई है। अब पति को बाहर जाने की जरूरत नहीं है।
इन्होंने भी बनाई पहचान
संक्रमण के दौरान तमाम प्रवासी कामगार ऐसे रहे हैं, जिनकी नौकरियां छिन चुकी हैं। इस संकट की घड़ी में उनके घरों की महिलाएं महिला स्वयं सहायता समूहों के जरिए परिवार की स्थिति मजबूत करने में जुटी हैं। ग्राम पंचायत रानापार में गीता रानी के पति दिनेश यादव कतर में रहते थे। लॉकडाउन में उनका भी काम छूट गया। घर चले आए। गीता भी एक महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं। उन्होंने समूह से ऋण लेकर फर्नीचर की दुकान खोली है। ग्राम पंचायत विश्वनाथपुर में एक महिला स्वयं सहायता समूह ने स्वेटर के लिए एक मशीन लगा दी है। पूजा देवी भी इस समूह में सदस्य हैं। उनके पति दिग्विजय का भी काम छूट गया है। अब वह पत्नी के कार्यों में हाथ बंटा रहे हैं।