मालूम हो कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 लागू होने के समय से 2005 तक कोई कोर्ट फीस नहीं लगती थी। उपभोक्ता अदालत में कोर्ट फीस का प्रावधान 10 फरवरी 2005 को संशोधन द्वारा लागू किया गया। जिसके अनुसार एक लाख तक के मामलों के लिए सौ रुपये, एक लाख से पांच लाख तक के मामलों के लिए दौ सौ रुपये, पांच लाख से दस लाख तक के मामलों के लिए चार सौ रुपये तथा दस लाख से बीस लाख तक के मामलों के लिए पांच सौ रुपये कोर्ट फीस निर्धारित की गई। 14 सितंबर 2018 से 24 अक्टूबर तक जो कोर्ट फीस जमा हो चुकी है उसके बारे में कोई उल्लेख नोटिस में नहीं किया गया है। उसका समायोजन कैसे किया जाएगा इस बात को लेकर अधिवक्ता एवं उपभोक्ता असमंजस में हैं। फिलहाल नई कोर्ट फीस संशोधित होने से उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है।
शॉर्ट मे जानें सभी बड़ी खबरें और पायें ई-पेपर,ऑडियो न्यूज़,और अन्य सर्विस, डाउनलोड जागरण ऐप