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रेलवे से सूचना प्राप्त करने के लिए नए नियम, अब थर्ड पार्टी की सहमति से ही मिलेगी सूचना

रेलवे में सूचना प्राप्त करने के लिए अब नया नियम लागू हो गया है। यह नियम रेलवे प्रशासन से टिकट और यात्रा संबंधी जानकारी पर लागू होगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 03:31 PM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 03:31 PM (IST)
रेलवे से सूचना प्राप्त करने के लिए नए नियम, अब थर्ड पार्टी की सहमति से ही मिलेगी सूचना
रेलवे से सूचना प्राप्त करने के लिए नए नियम, अब थर्ड पार्टी की सहमति से ही मिलेगी सूचना

गोरखपुर, जेएनएन। रेलवे प्रशासन से टिकट और यात्रा संबंधी जानकारी के लिए अब सूचना का अधिकार (आरटीआइ) का दुरुपयोग नहीं होगा। रेलवे बोर्ड ने पीएनआर संबंधी सूचनाओं के लिए नियमों में संशोधन करते हुए व्यवस्था को पारदर्शी बना दिया है। अब थर्ड पार्टी की सहमति से ही कोई सूचना मिल पाएगी। कोई भी व्यक्ति आरटीआइ या अन्य माध्यम के जरिये सीधे किसी तीसरे व्यक्ति (थर्ड पार्टी) से संबंधित टिकट या पीएनआर की जानकारी हासिल नहीं कर सकेगा। आवेदन पर रेलवे प्रशासन पहले थर्ड पार्टी से पूछेगा। तीसरे व्यक्ति की सहमति से ही जानकारी मुहैया कराई जाएगी।

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संशोधित नियम के मुताबिक व्यक्तिगत जानकारी के मामलों में नियम को कठोर बनाया गया है। व्यक्तिगत टिकट और पीएनआर की जानकारी के लिए भी आवेदक को आवेदन के साथ रेलवे प्रशासन के समक्ष आधार या पैनकार्ड प्रस्तुत कर अपनी पहचान बतानी होगी।

पहचान पत्र के बिना नहीं मिलेगी सूचना

बिना पहचान पत्र दिए रेलवे प्रशासन व्यक्तिगत सूचनाएं नहीं देगा। फिलहाल, सरकारी संस्थाओं को सहूलियत प्रदान की गई है। हालांकि, शुल्क में बढ़ोत्तरी हो गई है। सरकारी संस्थाएं अपने कर्मचारी के टिकट और पीएनआर संबंधी सूचनाएं 50 रुपये शुल्क जमा कर हासिल कर सकती हैं। जांच एजेंसियों को पूरी तरह राहत दी गई है। एजेंसियां किसी भी व्यक्ति के यात्रा संबंधी जानकारी बिना शुल्क दिए प्राप्त कर सकती हैं।

आवश्यक दिशा निर्देश जारी

नए नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए रेलवे बोर्ड की पैसेंजर और मार्केटिंग डायरेक्टर ने समस्त जोनल प्रमुख मुख्य वाणिज्य प्रबंधकों को पत्र लिखकर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। दरअसल, यात्रा और टिकट की सूचनाओं के लिए आरटीआइ के तहत लोग रेलवे प्रशासन से व्यक्तिगत और थर्ड पार्टी की सूचनाएं मांगते रहते हैं। जिसमें आरटीआइ के दुरुपयोग और फर्जीवाड़ा की भी आशंका बनी रहती है। अक्सर, इस तरह के मामले प्रकाश में आते रहते हैं।

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