गोरखपुर विश्वविद्यालय की तरफ से जल्द घोषित होगा प्रवेश परीक्षा का नया कार्यक्रम
कुलपति के निर्देश पर छह अगस्त से आगे की परीक्षा का संशोधित कार्यक्रम विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। इसके साथ ही पूर्व में 12 अगस्त से प्रस्तावित विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा- 2021 के कार्यक्रम को भी संशोधित किया जा रहा है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा उप्र शासन की ओर से छह अगस्त को आयोजित होने वाली बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा-2021 की वजह से वार्षिक परीक्षाओं के कार्यक्रम में बदलाव किया गया है। कुलपति के निर्देश पर छह अगस्त से आगे की परीक्षा का संशोधित कार्यक्रम विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। इसके साथ ही पूर्व में 12 अगस्त से प्रस्तावित विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा- 2021 के कार्यक्रम को भी संशोधित किया जा रहा है। जल्द ही इसे विश्वविद्यालय की आफिशियल वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।
देश-विदेश के छात्रों ने कराया दस गुना पंजीकरण
विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से प्रवेश परीक्षा के आवेदन की आखिरी तिथि को पूर्व में विस्तारित किया है। स्नातक व परास्नातक के विभिन्न कोर्स के लिए पांच अगस्त तो सेल्फ फाइनेंस कोर्स के लिए 25 अगस्त तक आवेदन किया जा सकता है। स्नातक, परास्नातक और स्पेशल कोर्स की 8827 सीट में प्रवेश के लिए विदेशों के साथ साथ 27 राज्यों से अब तक 84613 विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया है। स्नातक के लिए 62765 और परास्नातक के लिए 10262 और न्यू कोर्सेज के लिए 1189 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया है।
इस लिंक से मिलेगी प्रवेश परीक्षा की जानकारी
प्रवेश परीक्षा से जुड़ी जानकारी अभ्यर्थी विश्वविद्यालय की लिंक से हासिल कर सकते हैं। विश्वविद्यालय के स्नातक में बीए, बीएसएसी, बीकाम, एलएलबी, बीएससी (एजी) और बीटेक समेत अन्य पाठ्यक्रमों तथा परास्नातक में प्रवेश के इच्छुक अभ्यर्थी एमए, एमएससी, एमकाम और एलएलएम एवं एमएससी (एजी) समेत अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवेदन कर सकते हैं। आनलाइन आवेदन 28 मई से शुरू हुआ था।
गुणवत्ता व उत्कृष्टता उच्च शिक्षा के आधार स्तंभ
सीआरडी आर्य महिला पीजी कालेज में आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजेश सिंह ने कहा कि गुणवत्ता एवं उत्कृष्टता उ'च शिक्षा के आधार स्तंभ हैं। उ'च शिक्षण संस्थाओं को अपनी गुणवत्ता बढ़ाते हुए ग्रेङ्क्षडग बढ़ाने के तौर-तरीकों पर विशेष ध्यान देना वर्तमान समय की अनिवार्यता है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य निर्धारण, गुणवत्ता एवं कुशल प्रबंधन द्वारा हम नैक मूल्यांकन में अच्छी रैकिंग प्राप्त कर सकते हैं। उच्च शिक्षाधिकारी डा.अश्विनी कुमार मिश्र ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थाओं को अपनी संस्थाओं में गुणवत्ता संवर्धन के साथ ही शासन एवं यूजीसी से अनुदान प्राप्त करने के लिए भी नैक मूल्यांकन अत्यंत आवश्यक है। गणितज्ञ एवं नैक विशेषज्ञ डा.एसएन धर्माधिकारी, पुणे ने बतौर मुख्य वक्ता नैक मूल्यांकन के लिए उच्च शिक्षण संस्थाओं द्वारा की जाने वाली तैयारियों एवं रणनीतियों पर प्रकाश डाला।