कबाड़खाने में पहुंचीं परिषद की नई किताबें
बस्ती जनपद में अधिकारियों की लापरवाही से परिषदीय किताबें स्कूलों तक पहुंचने से पहले ही कबाड हो गई।
By Edited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 08:00 AM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 09:37 AM (IST)
गोरखपुर/बस्ती, (नवनिधि पांडेय)। बस्ती जनपद में परिषदीय शिक्षा व्यवस्था का भगवान ही मालिक है। स्कूलों में नई पुस्तकों की खेप पहुंचने से पहले ही रद्दी बन गईं। वर्ष 2018 की किताबें कबाड़खाने की शोभा बढ़ा रही हैं। बच्चों का बैग सूना का सूना ही रह गया। यह शिक्षा का बंटाधार नहीं तो और क्या है? चौंकिए मत, सच में नई किताबों की खेप कबाड़ की दुकान पर मिली।
मुख्यालय से 12 किमी दूर बस्ती-बांसी मार्ग पर स्थित प्राथमिक विद्यालय पैड़ा खरहरा विभाग का किताब घर बनाया गया है। यहां तीन खेप में निश्शुल्क बांटी जाने वाली किताबें पहुंचाई गईं। दो खेप में केवल 27 फीसद किताब आई। तब तक तो गनीमत रही। कुछ स्कूलों में पुस्तकें पहुंचाई गईं। शेष 851602 किताबें अंतिम खेप में आईं। इसी के बाद किताबों के साथ खेल शुरू हो गया।
किताब घर के निकटवर्ती क्षेत्र में ही कबाड़ के ठेलों पर यह किताबें देखी जा रहीं हैं। स्पष्ट ही नई किताबें रद्दी के भाव बिक रही हैं। विभाग और जिम्मेदार बेपरवाह हैं। जिस कबाड़खाने में परिषदीय पुस्तकें जागरण को मिलीं है वह वर्ष 2018 की हैं। मंजरी, वर्तिका, गणित, हिंदी आदि महत्वपूर्ण विषयों की पाठ्य पुस्तकें कबाड़ में खरीदी जा रही हैं। कबाड़ी इसे रद्दी समझ अपने कारोबार से जोड़ रहे हैं तो जिम्मेदार पूरी तरह अनभिज्ञता जता रहे हैं। फिलहाल किसी न किसी पायदान पर इन किताबों को निरर्थक साबित किया जा रहा है। जिससे विभाग और शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गया है। नई पुस्तकें बच्चों के बैग में जगह बनाने से पहले कबाड़खाने में आखिर कैसे पहुंच रही हैं। यह सरकारी स्कूलों के पठन-पाठन के असलियत की पोल खोलने के लिए काफी है।
मामला गंभीर है, लेकिन संज्ञान में नहीं
बस्ती के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अरुण कुमार ने कहा कि यदि परिषद की नई किताबें कबाड़ की दुकान पर मिल रही हैं या रद्दी के भाव बेची जा रही हैं तो यह गंभीर मामला है। वैसे विभाग सभी पुस्तकों को अपनी निगरानी में स्कूलों में पहुंचा रहा है। अब किताबें बाहर कहां से जा रही है यह जांच के बाद पता चलेगा। यदि दोषी कोई भी मिला तो बख्शा नहीं जाएगा।
यह है विभाग का आंकड़ा
- जनपद में कुल परिषदीय विद्यालय- 2386
- प्राथमिक स्कूल- 1747
- पूर्व माध्यमिक विद्यालय- 639
- कुल छात्र संख्या- 186680
- प्राथमिक स्कूलों में छात्र- 144128
- पूर्व माध्यमिक स्कूलों में छात्र- 42552
-शासन को भेजी गई नई पुस्तकों की डिमांड- 1180891
- यहां पहुंची पहली खेप- 234975
- दूसरी खेप- 94314
- तीसरी खेप- 851602
मुख्यालय से 12 किमी दूर बस्ती-बांसी मार्ग पर स्थित प्राथमिक विद्यालय पैड़ा खरहरा विभाग का किताब घर बनाया गया है। यहां तीन खेप में निश्शुल्क बांटी जाने वाली किताबें पहुंचाई गईं। दो खेप में केवल 27 फीसद किताब आई। तब तक तो गनीमत रही। कुछ स्कूलों में पुस्तकें पहुंचाई गईं। शेष 851602 किताबें अंतिम खेप में आईं। इसी के बाद किताबों के साथ खेल शुरू हो गया।
किताब घर के निकटवर्ती क्षेत्र में ही कबाड़ के ठेलों पर यह किताबें देखी जा रहीं हैं। स्पष्ट ही नई किताबें रद्दी के भाव बिक रही हैं। विभाग और जिम्मेदार बेपरवाह हैं। जिस कबाड़खाने में परिषदीय पुस्तकें जागरण को मिलीं है वह वर्ष 2018 की हैं। मंजरी, वर्तिका, गणित, हिंदी आदि महत्वपूर्ण विषयों की पाठ्य पुस्तकें कबाड़ में खरीदी जा रही हैं। कबाड़ी इसे रद्दी समझ अपने कारोबार से जोड़ रहे हैं तो जिम्मेदार पूरी तरह अनभिज्ञता जता रहे हैं। फिलहाल किसी न किसी पायदान पर इन किताबों को निरर्थक साबित किया जा रहा है। जिससे विभाग और शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गया है। नई पुस्तकें बच्चों के बैग में जगह बनाने से पहले कबाड़खाने में आखिर कैसे पहुंच रही हैं। यह सरकारी स्कूलों के पठन-पाठन के असलियत की पोल खोलने के लिए काफी है।
मामला गंभीर है, लेकिन संज्ञान में नहीं
बस्ती के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अरुण कुमार ने कहा कि यदि परिषद की नई किताबें कबाड़ की दुकान पर मिल रही हैं या रद्दी के भाव बेची जा रही हैं तो यह गंभीर मामला है। वैसे विभाग सभी पुस्तकों को अपनी निगरानी में स्कूलों में पहुंचा रहा है। अब किताबें बाहर कहां से जा रही है यह जांच के बाद पता चलेगा। यदि दोषी कोई भी मिला तो बख्शा नहीं जाएगा।
यह है विभाग का आंकड़ा
- जनपद में कुल परिषदीय विद्यालय- 2386
- प्राथमिक स्कूल- 1747
- पूर्व माध्यमिक विद्यालय- 639
- कुल छात्र संख्या- 186680
- प्राथमिक स्कूलों में छात्र- 144128
- पूर्व माध्यमिक स्कूलों में छात्र- 42552
-शासन को भेजी गई नई पुस्तकों की डिमांड- 1180891
- यहां पहुंची पहली खेप- 234975
- दूसरी खेप- 94314
- तीसरी खेप- 851602
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