बसपा संगठन में बड़ा बदलाव, अब किसी भी जाति से बन सकेंगे जिलाध्यक्ष Gorakhpur News
अघोषित रूप से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रहने वाले जिलाध्यक्ष के पद को सर्वसमाज के लिए खोल दिया गया है। अब बसपा में किसी भी वर्ग के कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष बन सकेंगे।
गोरखपुर, जेएनएन। 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की बात करने वाली बसपा ने अब सही मायने में इस रास्ते पर कदम बढ़ाए हैं। अघोषित रूप से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रहने वाले जिलाध्यक्ष के पद को सर्वसमाज के लिए खोल दिया गया है। अब बसपा में अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग या सवर्ण, किसी भी वर्ग के कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष बन सकेंगे।
उपाध्यक्ष का पद एससी के लिए आरक्षित
उपाध्यक्ष का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रहेगा। 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों को देखते हुए पार्टी पदाधिकारी नई व्यवस्था को काफी प्रभावी मान रहे हैं। इससे पार्टी संगठन को भेदभाव के आरोपों से भी मुक्ति मिल जाएगी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को लखनऊ में समीक्षा करते हुए संगठन के ढांचे में फेरबदल किया है। एक बार फिर सेक्टर व्यवस्था को लागू किया गया है। इसी बैठक में वरिष्ठ पदाधिकारियों को जिलाध्यक्ष के पद पर जाति बंधन समाप्त करने की जानकारी दी गई। 11 नवंबर से शुरू हो रहे मंडल स्तरीय सम्मेलन में इस बात की औपचारिक घोषणा भी कर दी जाएगी।
पार्टी के भीतर से भी उठने लगी थी आवाज
सोशल इंजीनियङ्क्षरग के सहारे सत्ता में आने वाली बसपा मंचों से सर्वसमाज की बात करती है। लेकिन, संगठनात्मक स्तर पर ही इस व्यवस्था को लागू नहीं किया गया था। जिलाध्यक्ष आमतौर पर अनुसूचित जाति से ही बनाए जाते थे। लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम की समीक्षा के दौरान कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा था और पार्टी की इस नीति पर सवाल भी उठाए गए थे।
जिलाध्यक्ष पद पर सर्व समाज का कोई भी नियुक्त होगा
सेक्टर-4 (वाराणसी, आजमगढ़, गोरखपुर एवं बस्ती मंडल) प्रभारी घनश्याम चंद्र खरवार का कहना है कि बसपा शुरू से ही सर्वसमाज के हित में काम करती आई है। बसपा सरकार में कानून व्यवस्था सबसे चुस्त-दुरुस्त रही है। पार्टी के जिलाध्यक्ष पद पर अब सर्वसमाज से कोई भी नियुक्त हो सकेगा।