सावधान, बढ़ती ठंड में लापरवाही कर सकती है बीमार, धूप में कम हुई ताप
ठंड में यदि थोड़ी सी लापरवाही हुई तो आप बीमार हो सकते हैं। डाक्टरों ने इससे कई रोग बढ़ने या होने की संभावना जताई है।
गोरखपुर, जेएनएन। आमतौर पर लोग मौसम से आने वाली दिक्कतों पर चर्चा तो करते हैं, लेकिन इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते कि बदलते तापमान के मानक पर उनका इलाज खरा उतर रहा है या नहीं। अलग-अलग रोगों के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने इस संबंध में कुछ इस तरह से सलाह दी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकेश शुक्ला का कहना है कि ठंड के मौसम में पसीना नहीं निकलता, इसलिए शरीर में नमक की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसे में कई बार ब्लड प्रेशर बढ़ जाने की वजह से ब्रेन स्ट्रोक की समस्या सामने आ जा रही है। यह दिक्कत उनके साथ ज्यादा आ रही है, जो ठंड में न तो ब्लड प्रेशर को लेकर सचेत हैं और न ही उसकी दवा को लेकर। नियमित सचेत रहना है इसका इलाज है।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सुधीर कुमार का कहना है कि अत्यधिक ठंड से हृदय की नसें सिकुड़ जाती हैं। इसकी वजह से ब्लड प्रेशर में तेजी से उतार-चढ़ाव होता है और आम दिनों में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं कारगर नहीं होतीं। यह परिस्थितियां ही ठंड में हार्ट अटैक की वजह बन जाती हैं। हाइपर टेंशन और हृदय के रोगी ठंड में ब्लड प्रेशर की नियमित मानीट¨रग करें और चार्ट भी बनाएं।
नाक-कान-गला विशेषज्ञ डॉ. वीरेंद्र गुप्ता का कहना है कि ठंड अधिक बढ़ने पर तापमान का संतुलन बिगड़ता है और जुकाम की शिकायत आम हो जाती है। ऐसे में नाक का पानी अंदर ही अंदर कान के पर्दे तक पहुंच जाता है और उस पर दबाव बनाने लगता है। इससे कान के बहने और उसमें दर्द की शिकायत आने लगती है। यह परिस्थिति गले में संक्रमण की वजह भी बन जाती है। जब भी बाहर निकलें तो कान को जरूर ढक लें।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रजत कुमार का कहना है कि ठंड में शरीर के अन्य हिस्सों को लोग सहेजते नजर आते हैं, लेकिन आंख को लेकर किसी में कोई चिंता नहीं दिखती। यही वजह है कि इस मौसम में आंखों में अनायास पानी आने और उसके लाल होने की दिक्कत आम हो जाती है। इसकी वजह से सिर दर्द की शिकायत होती है। ऐसे में जब भी घर से निकलें ठंडी हवाओं से आंखों को सुरक्षित कर लें।
चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. रत्नेश तिवारी का मानना है कि अत्यधिक ठंड और वातावरण में बढ़ी नमी की वजह से सांस की नलियों में सिकुड़न आ जाती है। ऐसे में खांसी और सांस फूलने की दिक्कत कब बढ़ जा रही है, पता ही नहीं चल रहा। धूप न निकलने पर बिना जरूरत घर से बाहर न निकले। सुबह टहलने की प्रक्रिया पर ठंड जाने तक के लिए तत्काल विराम लगा दें। धूप का सेवन करना बेहद जरूरी है।
17 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलीं बर्फीली पछुआ हवाएं
उत्तर-पश्चिम की पहाड़ियों की ओर से चल रही तेज बर्फीली पछुआ हवाओं के आगे शुक्रवार की धूप लाचार दिखी। एक तरफ चमकीली धूप निकली रही तो दूसरी ओर 17 किलोमीटर की रफ्तार से बह रही हवाएं सिहरन पैदा करती रहीं। यह हवाएं न्यूनतम तापमान को तो गिराने में कामयाब नहीं हो सकीं लेकिन अधिकतम तापमान को नहीं बढ़ने दिया।
शुक्रवार को अधिकतम तापमान 20.7 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया, जो गुरुवार को 21 डिग्री सेल्सियस था। गुरुवार का न्यूनतम तापमान आठ डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। गुरुवार का न्यूनतम तापमान 6.5 डिग्री सेल्सियस था। मौसम विशेषज्ञ कैलाश पांडेय ने बताया कि पूर्वी पाकिस्तान और उत्तरी जम्मू-कश्मीर के ऊपर पश्चिम विक्षोभ बना हुआ है। इसके चलते पहाड़ों पर जमकर बर्फबारी हो रही है। ऐसे में उस दिशा से चल रही पछुआ हवाएं ठंड लेकर उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर रही हैं और समूचे प्रदेश के तापमान को गिरा दे रही हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश पर भी इसका पूरा असर है। इसके चलते गोरखपुर और उसके आसपास के क्षेत्र में गलन भरी ठंड पड़ रही है। चूंकि पश्चिम विक्षोभ के साथ पछुआ हवाओं के चलने का सिलसिला अभी जारी रहेगा, ऐसे में अगले दो-तीन में तापमान के और गिरने के आसार हैं।