मूलभूत चिकित्सीय सुविधाओं के लिए बजट में प्रावधान की जरूरत, बेहतर सुविधा के लिए बढ़ाए जाएं इंतजाम Gorakhpur News
स्वस्थ तन और स्वस्थ मन के नाम पर मिलने वाली बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए लोगों को बजट में प्रावधान किए जाने की उम्मीद है। बेहतर करने के लिए चिकित्सीय संसाधन के साथ चिकित्सकों की संख्या बढ़ानी होगी।
गोरखपुर, जेएनएन : स्वस्थ तन और स्वस्थ मन के नाम पर मिलने वाली बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए लोगों को बजट में प्रावधान किए जाने की उम्मीद है। बेहतर करने के लिए चिकित्सीय संसाधन के साथ चिकित्सकों की संख्या बढ़ानी होगी, तभी समुचित इलाज हो पाएगा। बिहार सीमा से सटे पडरौना जनपद की 80 फीसद आबादी गांवों में रहती है। देवरिया जनपद से 13 मई 1994 को अलग हुए इस जनपद में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव बना हुआ है।
39 लाख की है आबादी
लगभग 39 लाख से अधिक की आबादी 14 ब्लाकों के 1003 ग्राम पंचायतों में बंटी है। नगरीय क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो सर्वाधिक लोग गांवों में रहते हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं न के बराबर हैं। विभाग की मानें तो जनपद में कुल 426 स्वास्थ्य केंद्र संचालित है। इसमें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौ, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र छह, नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 53 के अलावा 358 सब सेंटर संचालित है। यहां 189 के सापेक्ष 158 चिकित्सक तैनात हैं।
चिकित्सक रहते तो मरीज रेफर न होते
कुशीनगर जनपद के अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों पर इमरजेंसी सेवा के अलावा ओपीडी में मरीजों के इलाज किए जाने की बजाय उन्हें जिला सयुंक्त चिकित्सालय के लिए रेफर कर दिया जाता है। 24 घंटे इमरजेंसी सेवा देने में केवल तमकुहीराज, कसया व हाटा के सरकारी अस्पताल में होता है। ऐसे में मामूली इलाज के लिए भी मरीजों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
जिला संयुक्त अस्पताल में यह हैं सुविधाएं
-डायलिसिस सेंटर
-एसएनसीवी (सिक न्यू वार्न केयर)
-एनआरसी-कुपोषित बच्चों की देखभाल
-वर्ष 2012 में ब्लड बैंक
-जेइएस व एइएस का वार्ड
-2013 में लगी सीटी स्कैन मशीन
-फोर-डी कलर डाप्लर अल्ट्रा साउंड मशीन
-आइसीसीयू वार्ड
-इमरजेंसी मेडिकल अफसर एक भी नहीं
जिला संयुक्त चिकित्सालय में विशेषज्ञों की कमी
जिला संयुक्त अस्पताल में आइसीसीयू से लेकर हृदयरोग संबंधी रोग, सीटी स्कैन व अल्ट्रा साउंड के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता है, लेकिन न तो कार्डियोलाजिस्ट हैं और न न्यूरो सर्जन। यहां तक कि नर्स, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी, रेडियोलाजिस्ट, महिला सर्जन समेत कई महत्वपूर्ण पद रिक्त हैं। इनकी तैनाती न होने से मरीजों को गोरखपुर या लखनऊ इलाज के लिए लेकर जाना पड़ता है।
बजट में सुविधाओं को बढ़ाने के हों प्रयास
विधानसभा सत्र में 22 फरवरी को प्रस्तुत होने वाले बजट पर गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार उम्मीद लगाए हुए हैं। उन्हें विश्वास है कि सरकार उनके हितों को ध्यान में रखेगी। स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर करेगी।
सरकार रखेगी आमजनों के हितों का ख्याल
ग्रामीण जगदीश कुमार कहते हैं कि अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने के लिए बजट में सरकार से अपेक्षा है कि सरकार आमजन के हितों का ख्याल रखेगी। शंभू गोंड कहते हैं कि सीएचसी हो अथवा पीएचसी इलाज के साथ दवाएं भी मिलनी चाहिए। प्रिंस कुमार पाठक कहते हैं कि सरकारी अस्पतालों में दवा के नाम पर लाल-पीली दवाएं मिल रहीं है, जिससे मरीज ठीक नहीं हो पाते हैं। रितेश कुमार गुप्ता का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र के चिकित्सक कभी-कभार आते हैं, जिससे इलाज नहीं मिल पाता है। नवीन कोहली कहते हैं कि इस बार की बजट में नगर में स्थित पुरुष एवं नेत्र चिकित्सालय की सुविधा और बेहतर करने की जरूरत है। संजय कुमार टिबड़ेवाल उर्फ गुल्लू कहते हैं कि बजट में अस्पतालों में सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में सरकार बजट उपलब्ध करा सुविधाएं मुहैया कराए।
18 महीने में बनेगा राजकीय मेडिकल कालेज
जिला मुख्यालय पर जिला अस्पताल के बगल में राजकीय मेडिकल बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। निर्माण शुरू कराने के लिए शासन ने लोकनिर्माण विभाग को कार्यदायी संस्था बनाया है। कुशीनगर के सीएमओ डा.एनपी गुप्ता ने कहा कि यहां से भेजे गए प्रस्ताव पर मंजूरी मिलते ही भूमि अधिग्रहित कर ली गई है। अब निर्माण कार्य शुरू होगा।