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Gorakhpur Festival: कुरीतियों को जड़ से समाप्‍त करने का काम करते थे गोरखनाथ

साहित्यकार प्रो. रामदेव शुक्ल ने कहा कि समाज में व्याप्त हर तरह की कुरीतियों को बाबा गोरखनाथ जड़ से समाप्त कर देते थे। उन्होंने समाज में व्याप्त भेदभाव को दूर करने का प्रयास किया और जीवमात्र को एक मानने का संदेश दिया।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 01:56 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 01:56 PM (IST)
Gorakhpur Festival: कुरीतियों को जड़ से समाप्‍त करने का काम करते थे गोरखनाथ
कार्यक्रम को संबोधित करते साहित्‍यकार प्रो. रामदेव शुक्‍ल।

गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर महोत्सव के पहले दिन एनेक्सी भवन में 'नाथ पंथ एवं लोक सरोकार विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में सभी वक्ताओं ने एक स्वर से इस बात को स्वीकार किया कि कुरीतियों का समापन नाथ पंथ का प्रमुख उद्देश्य है और पंथ के संत इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए हमेशा मुखर रहे।

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समाज के भेदभाव को दूर करने का भी प्रयास किया

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार प्रो. रामदेव शुक्ल ने कहा कि समाज में व्याप्त हर तरह की कुरीतियों को बाबा गोरखनाथ जड़ से समाप्त कर देते थे। उन्होंने समाज में व्याप्त भेदभाव को दूर करने का प्रयास किया और जीवमात्र को एक मानने का संदेश दिया। गुरु गोरखनाथ ने अपरिग्रह पर जोर दिया क्योंकि परिग्रह की प्रवृत्ति के कारण ही लोग धन के संग्रह में गलत तरीके का इस्तेमाल करते हैं। मुख्य वक्ता डा. कन्हैया सिंह ने कहा कि गुरु गोरक्षनाथ ने साधना के मार्ग को ठीक किया। एक समयकाल में आई तमाम आनुष्ठानिक कुरीतियों को दूर करने के लिए साधना के केंद्रों की पवित्रता और ब्रह्मचर्य के महत्व को स्थापित किया। विशिष्ट वक्ता प्रो. राजवंत राव ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक परंपरा में नाथ पंथ का विशेष स्थान है। गुरु गोरखनाथ जी के विचार से जीवन के लिए अनेक प्रेरणाएं मिलती है। वह संसार के समानांतर एक प्रति-सत्ता रचना रचते हैं।

गोरखनाथ ने भारतीय चिंतन को निचोड़कर नवनीत रूप में प्रस्‍तुत किया

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. संतोष शुक्ल ने कहा कि लोक साहित्य में महायोगी गुरु गोरखनाथ का प्रमुख स्थान हैं। देश मे व्याप्त अनेक मत-मतान्तरों के कारण अनेकों सामाजिक कुविचार पैदा हो गए, जिसके बाद योगमार्ग का प्रवर्तन गुरु गोरखनाथ द्वारा किया गया। गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. मुरली मनोहर पाठक ने योगी और योग के आशय को स्पष्ट किया और कहा कि गुरु गोरखनाथ ने पूरे भारतीय चिंतन को निचोड़कर नवनीत के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने ज्ञान में शास्त्र के आडंबर को दूर करके लोक जीवन में जीकर अपना दर्शन दिया, इसलिए उनका दर्शन चिरस्थायी है। अतिथियों का स्वागत और कार्यक्रम का संयोजन प्रो. अजय कुमार शुक्ल ने किया। संचालन डा. मुमताज खान और आभार ज्ञापन डा. मनीष पांडेय ने किया। इस दौरान डा. अखिल मिश्र, डा. हर्षदेव वर्मा, डा. राकेश प्रताप सिंह, डा. प्रकाश प्रियदर्शी, डा. लक्ष्मी मिश्रा, डा. सूर्यकांत त्रिपाठी, डा. कुलदीप, डा. मृणालिनी, डा. कुसुम आदि मौजूद रहे।


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