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जागरण के वाट्सएप कंसर्ट पर संगीत की महफिल में सुरों की सरिता Gorakhpur News

ऑनलाइन मंच पर घर बैठे वाट्सएप के माध्यम से शहर के चुनिंदा गायकों ने सुरों की सरिता बहाई जिसे लोगों तक पहुंचाने का माध्यम बना आपका अपना जागरण।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 11 Apr 2020 03:18 PM (IST)Updated: Sat, 11 Apr 2020 03:18 PM (IST)
जागरण के वाट्सएप कंसर्ट पर संगीत की महफिल में सुरों की सरिता Gorakhpur News
जागरण के वाट्सएप कंसर्ट पर संगीत की महफिल में सुरों की सरिता Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। संगीत में वह ताकत है, जो आसमान से भी मेघ बरसा दे, निराश से निराश मन को प्रफुल्लित कर दे। यह सिर्फ कहने की बात नहीं है बल्कि इतिहास में कई बार संगीत की इस ताकत का अहसास बड़े-बड़े संगीतज्ञों ने कराया भी है। यही वजह है कि संगीत भारतीयों के रग-रग में रचा-बसा है। लेकिन, जबसे लॉकडाउन हुआ तबसे यह ताकत और इसका अहसास घरों की चहारदीवारी में कैद है। दैनिक जागरण ने संगीत के कद्रदानों की इस छटपटाहट को महसूस किया और संगीत को चहारदीवारी से बाहर निकालने की अनूठी कोशिश की, वह भी फिजिकल डिस्टेंसिंग के मानक का पालन करते हुए। वाट्सएप कंसर्ट कराकर। ऑनलाइन मंच पर घर बैठे वाट्सएप के माध्यम से शहर के चुनिंदा गायकों ने सुरों की सरिता बहाई, जिसे लोगों तक पहुंचाने का माध्यम बना आपका अपना जागरण।

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गीत-संगीत के विविध रंग

संगीत मौजू न हो तो कई बार महफिल की प्रासंगिकता पर सवाल उठने लगते हैं। ऐसे में गायक इसका पूरा ख्याल रखते हैं। जागरण के वाट्सएप कंसर्ट में भी इसकी झलक देखने को मिली। कोरोना पर लोगों को जागरूक करने की अपनी जिम्मेदारी निभाना गायक नहीं भूले। पर, दायरा इतने तक ही नहीं सिमटा। कंसर्ट में गीत-संगीत के विविध रंग देखने को मिले। गजलों और नज्मों ने दिलों में गहरी पैठ बनाई तो भोजपुरी गीतों ने माटी की सोंधी खुशबू बिखेरी। चईता की गूंज ने महफिल को मौसमी रंग दिया। सुरमयी नज्मों, गजलों, भोजपुरी गीतों का सिलसिला घंटो चला। अंत में सभी गायकों और वादकों ने जागरण को धन्यवाद दिया, लॉकडाउन के दौर में उनके गीतों को कद्रदानों तक पहुंचाने के लिए।

चईता से मिहिर ने जगाई विरह-वेदना

कंसर्ट की धमाकेदार शुरुआत गायक मनोज मिश्र मिहिर के गीतों से हुई। देश-विदेश में सैकड़ों से ज्यादा शो करने वाले और 50 से ज्यादा भोजपुरी फिल्मों में प्लेबैक सिंगिंग करने वाले मिहिर ने जब चईता पर धुन छेड़ी तो माहौल मौसमी हो गया। उन्होंने पिया का इंतजार कर रही युवती की विरह वेदना को चईता में उतारकर मंत्रमुग्ध कर दिया। ढोलक की थाप से पिंकू मिश्रा ने उनका बखूबी साथ दिया।

चईत कुमुम रंग छाए हो रामा, सइयां नहीं आए,

आए चईत बन टेसू फुलाने कली-कली,

भंवरा लुभाने हो रामा, सइयां नहीं आए,

हम बिरहिन कुहकूं भवनवा,

बदन-मदन अरुझाए सखी रे

चईत कुमुम रंग छाए हो रामा, सइयां नहीं आए,

चईता सुनाने के बाद मनोज मिहिर ने कोरोना के संक्रमण को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए सुर छेड़ दिया। गीत से फिजिकल डिस्टेंसिंग के नियम के पालन का अनुरोध किया।

कोरोना के आइल मजबूरी ये बाबू बना के रह दूरी

घरे रह चाहें मंसूरी ये बाबू बना के रह दूरी।। 

लॉकडाउन भइल बा सारा हिंदुस्तान हो,

घर ही में रहल बा एकर निदान हो।।

उह खइह जवन तोहार जूरी ये बाबू बना के रह दूरी

हिन्दू मुसलमान के ना चिन्हे इ बेमारी।

सिख ईसाई सभे झेले महामारी।।

जेके पाई ओकरा के धरी ये बाबू बना के रह दूरी

गीतों से प्रतिमा ने उकेरी देश की वर्तमान तस्वीर

गायिका प्रतिमा श्रीवास्तव ने मिहिर के कोरोना गीत से निकली भावनाओं को अपने नज्म में पिरोया और देश के वर्तमान परिदृश्य को सुरों में ढाल कर महफिल को बखूबी आगे बढ़ाया। उन्होंने हिंदुस्तान के मौजूदा हाल को कुछ इस तरह बयां किया।

मकतल बना हुआ है हिंदुस्तां हमारा

सड़कों पर बह रहा है खूने रवां हमारा

अब नींद से तो जागो किस ख्वाब में हो डूबे

कहीं यूं ही मिट ना जाए, नामों निशां हमारा

हिंदुस्तान में कैसी यह आग लग रही है

दोजख बना हुआ है जन्नत हिंदुस्तां हमारा

वर्तमान माहौल की दुर्दशा को गीतों से उतारकर प्रतिमा ने महफिल को बीच अधर में नहीं छोड़, उसे प्रार्थना तक आगे बढ़ाया। ईश्वर से प्रार्थना की कि वह इस मुसीबत से इन्सान को उबारें।

बोझ ममता का खुद ही उठा ले।

नीले आकाश पर रहने वाले अपनी छाया में हमको छुपा ले

हम खिलौनों के बस में ही क्या है, जैसी मर्जी हो तेरी नचा ले

दम फरिश्तों का अब घुट रहा है बेबसों का ही घर लूट रहा है

डर की छूरियों पर चलना पड़ा है हमको बेमौत मरना पड़ा है

डसते जुल्मों के हैं नाग काले आजा अब तो जरा रहम खा ले

 हर तरफ जुर्म है बेबसी है, जाने कैसे यह दुनिया थमी है

तेरी रचना का ही अंत होना, बोझ ममता का तू ही उठा ले

वादन में हारमोनियम पर प्रतिमा खुद थीं, कन्हैया श्रीवास्तव ने सिंथेसाइजर से गीतों की प्रस्तुति में जान ला दी।

महफिल को बहुआयामी बनाया चेता ने

प्रतिमा के बाद मशहूर गायिका चेता सिंह ने वाट्सएप मंच संभाला। राग पहाड़ी पर जगदीश पंंथी के गीत से चेता ने मनोज मिहिर के विरह गीत के सिलसिले को आगे बढ़ाया, जिसे उन्होंने चईता से छेड़ा था। चेता ने गीत के माध्यम से नायिका की शिकायत लोगों तक पहुंचाई।

सजना तुम क्यूं मुझको भूले

जिया नाहीं लागे मोरा अंगना, हो रे सजना

जब-जब बदली घिर-घिर आए

नैना मोरे नीर बहाए

विरह में धोए मोरा अंगना, हो रहे सजना

जब भी तुम सपनों में आए,

भोर में मेरा मन घबराए,

रतिया कहे न मोसे सजना, हो रहे सजना

चेता सिंह ने गीतों की सिलसिला एक बेहतरीन गजल से बढ़ाया। शकील बदायूंनी की लिखी गजल को राग दरबारी में प्रस्तुत कर चेता ने महफिल को बहुआयामी बना दिया। सुनील सिंह ने हारमोनियम पर और कुमार कार्तिकेय ने तबले पर संगत से चेता की ताल से ताल मिलाया।

जीने वाले कजां से डरते हैं

जहर पीकर दवा से डरते हैं

दुश्मनों के सितम का खौफ नहीं

दोस्तों की वफा से डरते हैं

तुझको आवाज दें, ये ताव कहां

हम खुद अपनी सदा से डरते हैं

आज जो भी कुछ कहें हमें मंजूर है

नेक बंदे खुदा से डरते हैं।

जहर पीकर दवा से डरते हैं

तान छेड़ रामदरस ने किया बेहतरीन समापन

मशहूर गायक रामदरस शर्मा ने महफिल के बेहतरीन समापन की जिम्मेदारी बखूबी संभाली। मधुकर राजस्थानी के लिखे गीत पर राग झिझौटी व जैजैवंती की उन्होंने तान छेड़ी।

कहरवा ताल में हुई उनकी प्रस्तुति में भी वहीं सुरमयी विरह-वेदना नजर आई।

क्यों गीत मिलन के गाए थे, तारों से भरी उन रातों में

जब तोड़ के दिल यूं जाना था, बहलाकर झूठी बातों में

विश्वास किया था तुम पर मैनें

और दिल को तेरे हवाले किया था

तुमने ये क्या काम किया, हम छुप-छुपकर रोए रातों में

क्यों गीत मिलन के गाए थे

महफिल का समापन रामदरस शर्मा ने राग गारा और दादरा ताल पर भोजपुरी गीत से किया। उनका अंतिम गीत भी विरह-वेदना के नाम रहा। उन्होंने सुनाया-

बिनवेली गोरिया पवन पुरवइया में, आपन अचरा पसार हो

पियवा जाई परदेस बिराजे, कहिहा सनेसवा हमार हो

जोहत बलमुआ के देह पियराइल, कंगना भईल कटार हो

सइयां बेदर्दी दरदियो न जाने, सुधियो न लिहलस हमार हो

रामदरस के गीतों को संतलाल ने आर्गन पर, सूरज ने नाल पर और जितेंद्र ने साइड इंस्टूमेंट पर धुन छेड़कर और सुरमयी बना दिया। 


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