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नगर न‍िगम ने जीते मार डाला, अब अपने जीव‍ित होने का प्रमाण लेकर भटक रहा है 'मृतक'

गोरखपुर में एक जीव‍ित व्‍यक्ति को नगर निगम के रिकार्ड में मृतक दर्शा दिया गया है। राकेश पांडेय का मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया है। राकेश के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए उनके सगे बड़े भाई राजेश मोहन पांडेय ने आवेदन किया था।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 08:05 AM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 08:05 AM (IST)
नगर न‍िगम ने जीते मार डाला, अब अपने जीव‍ित होने का प्रमाण लेकर भटक रहा है 'मृतक'
गोरखपुर में नगर न‍िगम ने एक जीव‍ित व्‍यक्‍ति का मृत्‍यु प्रमाणपत्र बना द‍िया। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। राप्तीनगर फेज चार रेल विहार निवासी राकेश पांडेय को नगर निगम के रिकार्ड में मृतक दर्शा दिया गया है। राकेश पांडेय का मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया है। राकेश के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए उनके सगे बड़े भाई राजेश मोहन पांडेय ने आवेदन किया था। रेलवे में काम करने वाले जगदीश प्रसाद पांडेय की मौत वर्ष 2007 में हो गई थी। उनके दो बेटे राकेश कुमार पांडेय, राजेश मोहन पांडेय और विवाहित बेटी प्रतिभा जोशी हैं। राकेश दिल्ली में नौकरी करते हैं, राजेश शहर में मार्बल की दुकान चलाते हैं।

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प्रमाण पत्र में अविवाहित बताया, उम्र भी 49 की जगह 35 दर्शाई

कुछ दिनों पहले राकेश कुमार पांडेय नगर आयुक्त अविनाश सिंह के सामने पहुंचे। बताया कि वह जिंदा हैं फिर भी नगर निगम ने उनका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया है। उनकी पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है। उम्र 49 साल है लेकिन प्रमाण पत्र में उन्हें अविवाहित दर्शाते हुए उम्र 35 साल दिखायी गई है। नगर आयुक्त ने मामले की तत्काल जांच कराने के निर्देश दिए। नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने बताया कि प्रकरण गंभीर है। जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। सुपरवाइजर की रिपोर्ट पर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। जिसकी भी गलती मिलेगी, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

यह कहा राजेश मोहन पांडेय ने

कोरोना संक्रमण काल में भाई की मौत की जानकारी हुई थी। रिश्तेदार ने बताया था कि भाई की मौत हो गई है। जिस रिश्तेदार ने बताया उनकी भी 19 अप्रैल को कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। भाई से कोई संपर्क भी नहीं हो सका। मई में खाते में 41 हजार रुपये आए थे लेकिन पता नहीं चल पाया कि रुपये किसने दिए हैं। भाई कोई संपर्क भी नहीं रखते। भाई को आवेदन में अविवाहित और उम्र 35 साल किसी ने लिख दिया होगा। गलती हुई है, भाई जीवित प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करे, मैं अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दूंगा।Ó

सात मई को हुई थी मौत

राकेश ने बताया कि इसी साल सात मई को उनकी मां शांति की मौत हो गई थी। जानकारी होने पर उन्होंने बड़े भाई राकेश मोहन पांडेय से बात की। तब भाई ने कोरोना संक्रमण की बात कहकर दिल्ली रुकने को कहा। उन्होंने अंतिम संस्कार के लिए भाई के बैंक खाते में 41 हजार रुपये भी डाले थे।

अगस्त में किया था आवेदन

राकेश पांडेय के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए राजेश मोहन पांडेय ने इसी साल अगस्त महीने में आवेदन किया था। आवेदन में उन्होंने मां की मौत की तिथि सात मई और भाई की मौत की तिथि 10 फरवरी दर्ज की थी। इस आधार पर 10 अगस्त को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी भी हो गया। नियमानुसार मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन आने पर क्षेत्र का सुपरवाइजर जांच करने घर जाता है। वहां आसपास के लोगों से भी मृत्यु के बारे में जानकारी लेता है। राकेश के मामले में सुपरवाइजर ने भी मौत की पुष्टि की थी।

आसान नहीं है कागज में जिंदा होना

राकेश कुमार पांडेय का कागज में जिंदा होना आसान नहीं है। उन्होंने नगर निगम में तो आवेदन कर दिया है लेकिन जिंदा होने की जांच प्रशासन करता है। एसडीएम जांच कराकर रिपोर्ट देंगे, तब प्रमाण पत्र निरस्त होगा। इसके लिए नगर निगम को एसडीएम से जांच का अनुरोध करना होगा।


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