शहर के इस रोड पर दो किलोमीटर तक नाले में भरी मिट्टी Gorakhpur News
प्रोजेक्ट मैनेजर एके सिंह ने बताया कि अस्थायी नाला बनाया जा चुका है। पुराने नाले पर लोगों ने स्लैब ढाल दिया है साथ ही मिट्टी भी भर गई है।
गोरखपुर, जेएनएन। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की ओर से तुर्रा नाले की ओर बना नाला दो किलोमीटर तक मिट्टी से भर गया है। अस्थायी नाला बनने के बाद भी सिंघडिय़ा और आसपास के इलाके का पानी न निकलने के बाद कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज (सीएंडडीएस) ने नाला सफाई का निर्णय लिया है। बुधवार से पोकलेन से नाला की सफाई की जाएगी।
देवरिया रोड पर 16 करोड़ रुपये की लागत से तकरीबन छह किलोमीटर लंबा नाला का निर्माण सपा सरकार में स्वीकृत हुआ था। चार किलोमीटर से ज्यादा नाला बन भी चुका है। प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय इलाके का पानी तुर्रा नाले में पहुंचाने के लिए नाले का निर्माण किया जा रहा था। नाले की डिजाइन पर नगर विधायक डॉ. राधा मोहनदास अग्रवाल ने आपत्ति जताई थी। विधानसभा में भी मामला उठाया था। बताया था कि कुसुम्ही जंगल के रास्ते नाला ले जाने की वन विभाग से अनुमति भी नहीं ली गई। यदि तुर्रा नाले में पानी बढ़ा तो नाले के रास्ते पानी शहर में आ जाएगा। इसके बाद नाले का निर्माण रोक दिया गया था। हाल के दिनों में बारिश के बाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय इलाके का पानी नहीं निकला तो नगर निगम ने अस्थायी रूप से नाला बनाने का निर्णय लिया।
सीएंडडीएस की यूनिट 14 के प्रोजेक्ट मैनेजर एके सिंह ने बताया कि अस्थायी नाला बनाया जा चुका है। पुराने नाले पर लोगों ने स्लैब ढाल दिया है, साथ ही मिट्टी भी भर गई है। सफाई शुरू कराई जाएगी। दो-तीन में पानी निकलने लगेगा।
तीन दिनों से नहीं उठा कूड़ा
जनप्रिय विहार वार्ड में तीन दिनों से कूड़ा न उठने पर उप नगर आयुक्त संजय शुक्ल ने सफाई सुपरवाइजर पर पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाया है। हालांकि जुर्माना के बाद भी मंगलवार देर शाम तक कूड़ा नहीं उठाया गया था। जनप्रिय विहार वार्ड में कूड़ा न उठाने की शिकायत पार्षद ऋषि मोहन वर्मा ने जोनल अफसर व उप नगर आयुक्त संजय शुक्ल से की थी। बताया था कि कूड़ा न उठने के कारण बदबू से नागरिकों को दिक्कत हो रही है। सफाई सुपरवाइजर से कई बार बात करने के बाद भी गाड़ी नहीं भेजी जा रही है। इस पर उप नगर आयुक्त ने सफाई सुपरवाइजर रामप्रताप यादव पर पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाया। पार्षद ने बताया कि इलाके का कूड़ा उठाने के लिए बार-बार अफसरों से बात करनी पड़ती है। हद तो यह है कि जुर्माना के बाद भी कूड़ा नहीं उठाया गया है।