Coronavirus के सबसे ज्यादा ऐसे मरीज जिनमें नहीं था कोई लक्षण, कुछ में नए लक्षण भी मिले Gorakhpur News
गोरखपुर में Coronavirus के सबसे ज्यादा ऐसे मरीज मिले जिनमें कोई लक्षण नहीं था। कुछ मरीजों में नए लक्षण भी मिले हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। अभी तक कोरोना के जो लक्षण देश से लेकर विदेश तक में सामने आए हैं, उनमें से अनेक प्रकार के लक्षणों वाले मरीज गोरखपुर में भी मिलने लगे हैं। यहां पहले या तो अलाक्षणिक या फिर सर्दी-जुकाम, बुखार अथवा सांस फूलने के लक्षणों वाले मरीज ही थे। अब ऐसे भी मरीज मिल रहे हैं, जिन्हें स्वाद का पता चलता है न किसी चीज की महक का। पाचन तंत्र खराब होने और केवल जुकाम वाले मरीजों में भी कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने लगी है। इको लेकर चिंतित स्वास्थ्य महकमा इनके सैंपल शोध के लिए सुरक्षित कर रहा है।
ज्यादातर मरीजों में रही बुखार व सांस की परेशानी
गोरखपुर में कोरोना की शुरुआत सांस फूलने के लक्षण से हुई थी। किडनी की बीमारी से परेशान बस्ती का एक युवक बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुआ था। 31 मार्च को उसकी मौत हो गई थी। अंतिम क्षणों में उसकी सांस तेजी से फूलने लगी थी, इसलिए कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया गया था। रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसके बाद कोरोना संक्रमण का सिलसिला शुरू हुआ तो थमने का नाम नहीं ले रहा है। राहत की बात यह है कि अभी तक संक्रमित मरीजों में सर्वाधिक अलाक्षणिक हैं, लेकिन इस सप्ताह कुछ मरीजों में खास लक्षण मिलने लगे हैं, जो अभी तक नहीं थे। 10 जुलाई को पिपराइच क्षेत्र का 29 वर्षीय एक मरीज जिला अस्पताल पहुंचा। उसे न तो किसी चीज का स्वाद पता चल रहा था और न ही महक का। जांच कराई गई तो कोरोना पॉजिटिव निकला। युवक मुंबई से आया था। अनेक लोगों में केवल जुकाम की शिकायत थी, लेकिन संक्रमित निकले।
विभिन्न लक्षणों वाले मरीजों की संख्या
478 अलाक्षणिक
35 सांस की दिक्कत
75 बुखार, सर्दी, खांसी-
55 केवल बुखार
69 पाचन तंत्र में खराबी
42 केवल जुकाम।
आयु वर्ग में संक्रमण
45 वर्ष से ऊपर - 330
11 से 45 वर्ष- 402
10 वर्ष से नीचे- 22
एक साल से नीचे- 04
गोरखपुर में नए लक्षणों वाले मरीज मिलने लगे हैं। अभी तक खांसी, बुखार व सांस फूलने के ही मरीजों में संक्रमण मिल रहा था। अब स्वाद व महक न मिलने वाले लक्षण भी सामने आने लगे हैं। सभी प्रकार के लक्षणों वाले मरीजों के सैम्पल सुरक्षित किये जा रहे हैं। उनपर शोध किया जाएगा। इससे कोरोना की रोकथाम में मदद मिलेगी। - डॉ रजनीकांत, निदेशक, क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र।