सरकारी डाक्टरों के कारण आधे से अधिक जन औषधि केंद्र बंद Gorakhpur News
सरकार का निर्देश है कि सरकारी डाक्टर जेनरिक (जन औषधि) ही लिखें। लेकिन डाक्टर मरीजों को महंगी और ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं जो मेडिकल स्टोरों पर मिलती हैं। इसलिए इन केंद्रों पर रखी हुई दवाएं एक्सपायर हो रही हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। दवाओं की आपूर्ति न हो पाने की वजह से मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने वाले आधे से ज्यादा जन औषधि केंद्र बंद हो चुके हैं। जो चल भी रहे हैं, वे बंद होने की कगार पर हैं। यही नहीं इन केंद्रों पर आई लाखों रुपये की अधिक की दवाएं एक्सपायर हो गई हैं।
लगातार एक्सपायर हो रही दवाएं
सरकार का निर्देश है कि सरकारी डाक्टर जेनरिक (जन औषधि) ही लिखें। लेकिन डाक्टर मरीजों को महंगी और ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं, जो मेडिकल स्टोरों पर मिलती हैं। इसलिए इन केंद्रों पर रखी हुई दवाएं एक्सपायर हो रही हैं। दवाएं एक्सपायर होने और नियमित आपूर्ति न होने से जिले के 36 में से 18 से अधिक केंद्र बंद हो चुके हैं। शेष बंद होने के कगार पर हैं, क्योंकि वहां दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
ब्रांड की दवाएं लिख रहे जिला अस्पताल के डाक्टर
जिला अस्पताल में जन औषधि केंद्र के संचालक वसीउल्लाह खान का कहना है कि डाक्टर ब्रांड की दवाएं लिख रहे हैं। इसकी वजह से केवल गोरखपुर में कोरोना काल में लगभग 10 लाख की दवाएं एक्सपायरहो गई हैं। यहां स्थानीय थोक विक्रेता ने भी काम बंद कर दिया है। इस वजह से बाहर से दवाएं मंगानी पड़ रही हैं। यहां उपलब्धता होने पर थोड़ा पैसा भी हुआ तो हम दवाएं ले आते थे। बाहर से मंगाने के लिए बड़ा आर्डर ही भेजा जाता है।
दो लोगों ने किया प्लाज्मा दान
बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज में एफरेसिस मशीन चालू कर दी गई। दो लोगों ने प्लाज्मा दान किया। इस मशीन का उद्घाटन तीन दिन पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आनलाइन किया था। पहले दिन पांच लोगों का प्लाज्मा लेने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन दो लोग तारामंडल निवासी डा. विपिन चंद्र चतुर्वेदी व अनुनय फिलिप ही पहुंचे।
मेडिकल कालेज में यह मशीन न होने से अभी तक प्लाज्मा दान दाताओं को फातिमा अस्पताल जाना पड़ता था। अब यह सुविधा कालेज में उपलब्ध हो गई है। ब्लड बैंक प्रभारी डा. राजेश कुमार राय ने बताया कि मशीन आ जाने से अब दानदाता का प्लाज्मा लेकर रक्त उनके शरीर में वापस किया जा सकेगा। पहले रक्त निकालकर उसमें से प्लाज्मा अलग किया जाता था। एक यूनिट रक्त से मात्र 160 मिलीलीटर प्लाज्मा निकल पाता था। इसमें समय भी ज्यादा लगता था और रक्त भी दानदाता के शरीर में वापस नहीं किया जा सकता था। अब मशीन की सहायता से एक व्यक्ति से 450 मिलीलीटर प्लाज्मा लिया जा सकेगा। इस अवसर पर प्राचार्य डा. गणेश कुमार, पैथोलाजी विभाग की अध्यक्ष डा. शैला मित्रा, डा. अर्चना त्रिपाठी आदि मौजूद रहीं।