गोरखपुर विश्वविद्यालय के 20 से अधिक शिक्षकों ने यूजीसी से स्टार्टअप ग्रांट पाया Gorakhpur News
विवि के 20 से अधिक शिक्षकों ने यूजीसी से स्टार्टअप ग्रांट पाया है। यह विवि के बेहतर भविष्य का परिचायक है। विवि अपने-अपने स्तर पर कार्यक्रम को आयोजित करने की पहल कर रहेे हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो.डीपी सिंह ने दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के 38 वें दीक्षा समारोह के दीक्षांत संबोधन में आयोग की ओर से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम की जानकारी दी। साथ ही विश्वविद्यालयों से इन कार्यक्रमों का लाभ उठाने के लिए आगे आने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि इस विवि के 20 से अधिक शिक्षकों ने यूजीसी से स्टार्टअप ग्रांट पाया है। यह विवि के बेहतर भविष्य का परिचायक है।
प्रो.सिंह ने विवि की ओर से गत वर्षों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की और इससे जारी रखने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि आयोग उच्च शिक्षा के ढांचे में गुणवत्ता को लेकर अपने प्रतिबद्धता को नए-नए अभियानों और नीतियों के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा है। इसके तहत कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। देश के सभी विवि अपने-अपने स्तर पर इस उन्मुखीकरण कार्यक्रम को आयोजित करने की पहल कर रहे हैं।
विद्यार्थियों को नसीहत देते हुए प्रो.सिंह ने कहा कि हमें एक गौरवशाली विरासत में मिली है। हमारा वर्तमान नित नूतन चुनौतियों से साक्षात्कार करता है पर हमारी कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति भी देता है। पिछले कुछ वर्षों में हमने प्रत्येक क्षेत्र को विश्व में सर्वाधिक संभावनाशील राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित किया है। समूचा विश्व हमारी उपलब्धियों की सराहना करते हुए हमसे नई भूमिकाओं की प्रतीक्षा कर रहा है और इस भूमिका के निवर्हन में आप सबसे महत्वपूर्ण इकाई हैं।
देश में महाविद्यालयों की संख्या 51 हजार और 998 विश्वविद्यालय
प्रो.सिंह ने कहा कि शिक्षा वह संजीवनी है जो मरुस्थल में ज्ञान की गंगा बहाती है। विद्या वही है जो हमें भौतिकता से मुक्ति से देती है। आल इंडिया सर्वे आफ हायर एजुकेशन के अनुसार देश में महाविद्यालयों की संख्या 51 हजार व विश्वविद्यालयों की संख्या 998 हो गई है, जो काफी उत्साहजनक है। दूसरी तरह गुणवत्ता को लेकर हमारी चिंता में इजाफा हुआ है। टाप के दो सौ विश्वविद्यालयों में अभी तक हम स्थान हासिल नहीं कर सके।
शोध को प्रासंगिक बनाने के लिए पांच सौ करोड़ का प्रोजेक्ट
उन्होंने कहा कि आज शिक्षक व छात्र में दूरिया बढ़ रही है। जिसे देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि गुरु और शिष्य की परंपरा को कायम करते हुए शिक्षक व छात्र आपसी मेलजोल बढ़ाएं। शोध आज एक बड़ा विषय है। हमें खुशी है कि गोरखपुर विवि में इस पर ध्यान दिया जा रहा है। शोध को प्रासंगिक बनाने के लिए यूजीसी ने स्ट्राइड नाम से पांच सौ करोड़ का एक प्रोजेक्ट लांच किया है।