Move to Jagran APP

मोरारी बापू ने कहा, अयोध्या कांड में निर्वाण शब्द का पहला प्रयोग हुआ

प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू की दूसरे दिन की रामकथा निर्वाण पर केंद्रित रही। इसके आठ रूपों को बताते हुए रामचरित मानस को भी खड़ा किया और इसे निर्वाण का सशक्त माध्यम बताया। कहा कि तुलसीदास रचित रामचरित मानस में आठ बार निर्वाण की बात आती है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 08:05 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 08:05 AM (IST)
मोरारी बापू ने कहा, अयोध्या कांड में निर्वाण शब्द का पहला प्रयोग हुआ
राम कथा कहते मानस मर्मज्ञ प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू। - जागरण

कुशीनगर, जेएनएन। भगवान बुद्ध की नगरी कुशीनगर में मानस मर्मज्ञ प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू की दूसरे दिन की रामकथा निर्वाण पर केंद्रित रही। इसके आठ रूपों को बताते हुए रामचरित मानस को भी खड़ा किया और इसे निर्वाण का सशक्त माध्यम बताया। कहा कि तुलसीदास रचित रामचरित मानस में आठ बार निर्वाण की बात आती है। अयोध्या कांड में निर्वाण शब्द का पहला प्रयोग हुआ है।

loksabha election banner

स्वप्न में भी किसी के प्रति राग द्वेष न रखना भी निर्वाण है

कहा कि निर्विचारिता ही निर्वाण है। अखंड निर्विचारिता महापरिनिर्वाण है। स्वप्न में भी किसी के प्रति राग द्वेष न रखना भी निर्वाण ही है। प्रेम धारा में रसमय व तन्मय प्रवेश करना, लीन हो जाना प्रेम भाव का निर्वाण है। बापू ने कहा कि तंत्र, मंत्र व सूत्रों का सहारा लेकर दूसरे को बाध्य करना आध्यात्मिक प्रदूषण खड़ा करना है। यह हिंसा वायुमंडल को प्रदूषित करती है। बुद्ध ने भी कहा कि मेरी बात मत मान लेना। इसका खुद पर प्रयोग करना, प्रयोग पर खरा उतरे तभी मानना। तब यह बात मेरी नहीं, तुम्हारी हो जाएगी। मानस भी यही कहता है, बातों को मानें नहीं उसे अंगीकार करें। राम नाम महामंत्र है। इसके जप मात्र से जीवन धन्य हो जाता है।

रामकथा का श्रवण मंगल करता है

उन्‍होंने कहा कि श्रीमद्भागवत में कहा गया है कि रामकथा का श्रवण मंगल करता है। इसमें विनम्रता है, कल्याण है। इसकी बहुत महिमा है। यही वजह है कि वशिष्ठ वेद पुराण की कथा कहते हैं, भगवान राम एकाग्रचित्त होकर सुनते हैं। पाठ पढ़ने से अधिक महत्वपूर्ण होता है श्रवण करना। क्योंकि साधु के मुंह से साधुता बोलती है। साधुता एक विलग वस्तु है। मोरारी बापू ने कलियुग की चर्चा करते हुए कहा कि यह युग अनेक प्रकार के मैल से भरा हुआ है। कथा श्रवण से यह मैल बाहर निकल जाता है। उन्होंने कहा कि बौद्धिक जगत में सुख व दुख को विलग नहीं किया जा सकता। दोनों एक दूसरे के सापेक्ष हैं। यह एक सिक्के के दो पहलू हैं।

जहां प्यार है वहां नफरत भी है, जहां आना है, वहां जाना है

उन्होंने कहा कि जगत में फायदा के साथ नुकसान जुड़ा है। जहां प्यार है वहां नफरत भी है, जहां आना है, वहां जाना है, जहां जन्म है, वहां मृत्यु है। आध्यात्म संशय को दूर करता, यह सुख भवन है। यहां नुकसान में भी फायदा ही होता है। युवा पीढ़ी को सचेत करते हुए कहा कि भोग युवानी (जवानी) में भी बूढ़ा बना देता है और प्रेम बुढ़ापे को भी युवा बना देता है। सबमें जीने की उत्कंठा होनी चाहिए। देश की बात करते हुए कहा कि भारत को मतलब हम सभी को अपने बारे में सोचना चाहिए। इस भूमि पर भगवान भी आना चाहते हैं, फिर दूसरे के बारे में क्या सोचना।

प्रत्येक घर में एक भीष्म होता है

कहा कि हिंदू धर्म उदार होने के कारण किसी की भी दृष्टि इस ओर कम जाती है। घर परिवार की चर्चा करते हुए कहा कि प्रत्येक घर में एक भीष्म होता है, वही हमारी पापों को भोगता है। परिवार में लोग भीम को खोजते हैं, पर भीष्म को भी खोजें। ईर्ष्या, निंदा और द्वेष की जीवन में कोई आवश्यकता नहीं है। लोभ, मोह, क्रोध और काम का अति न हो तो कोई बात नहीं बापू ने कहा कि आजकल दिमाग का अत्यधिक मंथन हो रहा इससे विष ही निकलेगा। ज्यादा मंथन ठीक नहीं। समुद्र के भी अत्यधिक मंथन से हलाहल ही निकला था। आयोजक अमर तुलस्यान ने सपरिवार आरती की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.