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मोहन भागवत ने कहा-समाज को तोड़कर विपरीत संवाद खड़ा करने का किया जा रहा प्रयास Gorakhpur News

मोहन भागवत शनिवार को आरएसएस उत्तर प्रदेश पूर्वी क्षेत्र की कार्यकर्ता बैठक के दूसरे दिन सामाजिक समरसता विषय पर चर्चा कर रहे थे।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 09:30 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 09:30 PM (IST)
मोहन भागवत ने कहा-समाज को तोड़कर विपरीत संवाद खड़ा करने का किया जा रहा प्रयास Gorakhpur News
मोहन भागवत ने कहा-समाज को तोड़कर विपरीत संवाद खड़ा करने का किया जा रहा प्रयास Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि जातपात, विषमता, अस्पृश्यता जैसे सामाजिक विकार जल्द से जल्द समाप्त होने चाहिए। कुछ विकृतियों की वजह से न केवल सामाजिक तानाबाना टूटा है बल्कि समाज को तोड़कर विपरीत संवाद खड़ा करने का भी प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में विकृतियों को समाप्त करना, समाज का मन बदलना और विपरीत संवाद को समाप्त कर सामाजिक समरसता कायम करना स्वयंसेवकों की जिम्मेदारी है। सामाजिक अहंकार और हीनता के भाव पर भी तत्काल विराम लगना चाहिए।

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सामाजिक समरसता विषय पर चर्चा

मोहन भागवत शनिवार को आरएसएस उत्तर प्रदेश पूर्वी क्षेत्र की कार्यकर्ता बैठक के दूसरे दिन सामाजिक समरसता विषय पर चर्चा कर रहे थे। पांच दिवसीय कार्यकर्ता बैठक के दूसरे दिन पूर्वी उत्तर प्रदेश की क्षेत्र कार्यकारिणी, अवध, काशी, गोरक्ष, कानपुर प्रांत टोली, प्रांत कार्यकारिणी, गतिविधियों (पर्यावरण, सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, धर्म जागरण, समग्र ग्राम विकास व गो सेवा) की प्रांत टोली मौजूद रही।

कार्यकर्ता ऐसे करे काम

सरसंघचालक ने कहा कि कार्यकर्ता बिना किसी प्रचार व शासन सत्ता के सहयोग बिना समाज के सज्जन लोगों को साथ मिलाकर परिवर्तन की गतिविधियों में जोडऩे का काम करें। ऐसा माहौल बनाएं कि पूरा समाज भेदभाव को भुलाकर समरस भाव से खड़ा हो। उन्होंने पौधरोपण, जल संरक्षण, प्लास्टिक मुक्त समाज बनाने के साथ जैविक खेती को भी प्रोत्साहित करने का आग्रह किया।

उन्‍नत खेती के लिए बताया उपाय

आदर्श और उन्नत खेती के लिए उन्होंने स्वच्छता, स्वाध्याय, तप, सुधर्म और संतोष के पांच नियमों का पालन करने की अपील की। स्वच्छता के तहत गांव को साफ रखने, स्वाध्याय के अंतर्गत भारतीय पद्धति का अध्ययन करने, तप की अवधारणा में जमीन को भगवान मानकर सेवा करने, सुधर्म का पालन करने के साथ अच्छे परिणाम के लिए संतोष अर्थात धैर्य पूर्वक जैविक खेती को अपनाने की बात कही। 


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