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एमएमयूटी छात्र ने विकसित की डिजिटल सर्किट, मुश्किल होगा मोबाइल व कंप्‍यूटर हैक करना

डेटा के बढ़ते बोझ से कंप्यूटर और मोबाइल हांफ रहे हैं। इस परेशानी से मुक्ति दिलाने के प्रयास में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) के इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग विभाग के शोधार्थी मंगलदीप गुप्ता को अपने विभागाध्यक्ष प्रो. आरके चौहान के मार्गदर्शन में बड़ी सफलता मिली है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Sat, 08 Jan 2022 08:50 AM (IST)Updated: Sat, 08 Jan 2022 01:56 PM (IST)
एमएमयूटी छात्र ने विकसित की डिजिटल सर्किट, मुश्किल होगा मोबाइल व कंप्‍यूटर हैक करना
अब तेज चलेगा मोबाइल व कंप्यूटर, अधिक सुरक्षित होगा क्यूआर कोड। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, डा. राकेश राय। डेटा के बढ़ते बोझ से कंप्यूटर और मोबाइल हांफ रहे हैं। डाटा सुरक्षा की समस्या भी निरंतर बनी हुई है। इन परेशानियों से मुक्ति दिलाने के प्रयास में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) के इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग विभाग के शोधार्थी मंगलदीप गुप्ता को अपने विभागाध्यक्ष प्रो. आरके चौहान के मार्गदर्शन में बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने एक ऐसा डिजिटल वीएलएसआइ (वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन) सर्किट डिजाइन की है, जिससे कंप्यूटर और मोबाइल फोन की रफ्तार तो बढ़ेगी ही, उसमें मौजूद डाटा की सुरक्षा सापेक्षिक रूप से बढ़ जाएगी। इस सर्किट के जरिए क्यूआर कोड (क्विक रिस्पांड कोड) को भी और अधिक सुरक्षित बनाया सकेगा।

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कई अंतरराष्‍ट्रीय जनरल में छप चुका है शोध पत्र

नेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्टैंडर्ड टेक्नालाजी के मानक पर यह शोध खरा पाया जा चुका है। शोध से जुड़े आधा दर्जन से अधिक शोधपत्रों को अंतरराष्ट्रीय जर्नल में भी जगह मिल चुकी है। सफलता से उत्साहित शोधार्थी मंगलदीप ने अपने डिजिटल सर्किट को पेटेंट कराने के लिए आवेदन किया है। विभागाध्यक्ष प्रो. चौहान ने बताया कि इस डिजिटल सर्किट को ऐसे डिजाइन किया गया है कि इसमें लगने वाले ट्रांजिस्टर कम से कम स्थान घेरें। जब कम स्थान में अधिक ट्रांजिस्टर कार्य करेंगे ताे उनकी ताकत बढ़ जाएगी।

कम जगह में अधिक सर्किट होने की वजह से मुश्किल करना होगा हैक करना

ताकत बढ़ने का सीधा असर उस कंप्यूटर या मोबाइल पर पड़ेगा, जिसमें इस सर्किट का इस्तेमाल किया जाएगा। उनकी रफ्तार बढ़ जाएगी और वह हैंग नहीं करेंगे। यही नहीं कम स्थान पर ज्यादा ट्रांजिस्टर इस्तेमाल होने से यह सर्किट अब तक इस्तेमाल होने वाले सर्किटों से ज्यादा पेंचीदा हो गया है, जिससे वह हैकरों के लिए एक पहेली हो जाएगा। वह चाहकर भी इस सर्किट की सुरक्षा में सेंध नहीं लगा सकेंगे। प्रो. चौहान ने बताया कि प्रदेश में इस तरह का शोध पहली बार किया गया है। देश में भी इस विषय पर कम ही लोग काम कर रहे हैं।

डिजिटल सर्किट से क्रिप्टोकरेंसी को मिलेगी सुरक्षा

क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल कैश प्रणाली है, जो कंप्यूटर एल्गोरिदम पर बनी है। इस प्रणाली में धन को सुरक्षित रखने में मंगलदीप गुप्ता का डिजिटल वीएलएसआइ सर्किट ज्यादा कारगर सिद्ध् होगा। इससे कोड आधारित डाटा भी पूर्णत: सुरक्षित हो जाएगा। क्यूआर कोड की सुरक्षा भी इसी से जुड़ी हुई है।

इन जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं शोध से जुड़े शोधपत्र

आइईटी कप्यूटर्स एंड डिजिटल टेक्निक लंदन, जर्नल आफ सर्किट, सिस्टम एंड कंप्यूटर्स सिंगापुर, एडवांस इन इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग नीदरलैंड, ईसीटीआइ ट्रांजेक्शन आन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन थाईलैंड, जर्नल आफ टेलीकम्युनिकेशन इलेक्ट्रानिक एंड कंप्यूटर इजीनियरिंग मलेशिया।

बड़ी समस्‍या है डाटा को सुरक्षित करना

एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने बताया कि डाटा की सुरक्षा इन दिनों बड़ी समस्या बनी हुई है। आए दिन हैकरों द्वारा डाटा हैक करने की जानकारी मिलती है। ऐसे में डाटा की सुरक्षा की दिशा में विश्वविद्यालय में किया गया कार्य सराहनीय है। मैं शोधार्थी मंगलदीप और उनके मागदर्शक प्रो. आरके चौहान को इस महत्वपूर्ण शोध के लिए बधाई देता हूं और यह उम्मीद भी करता हूं कि वह अपने इस शोध का और आगे ले जाएंगे।


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