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सुरंग के पास भवन बनवाना है तो न हों परेशान, नींव की मजबूती के लिए MMMUT के शोधार्थी ने तैयार किया फैक्टर

सुरंग के पास भवनों का निर्माण कराने की सोच रहे तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। एमएमयूटी के शोधार्थी पीयूष ने इसके लिए रिडक्शन फैक्टर बनाया है। चार-चार अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशन के साथ शोध की सफलता पर मुहर लगी है। रिडक्शन फैक्टर भवनों की नींव को मजबूत करेगा।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Sat, 03 Dec 2022 03:06 PM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2022 03:06 PM (IST)
सुरंग के पास भवन बनवाना है तो न हों परेशान, नींव की मजबूती के लिए MMMUT के शोधार्थी ने तैयार किया फैक्टर
चट्टान में वृत्ताकार सुरंग के ऊपर इमारत की नींव का सरलीकृत माडल विन्यास।

गोरखपुर, डॉ. राकेश राय। सुरंग प्राकृतिक हो या मानवजनित, आसपास के भवनों की मजबूती को प्रभावित करती ही है। ऐसे में कई बार लोग ऐसे स्थान पर भवन निर्माण की हिम्मत नहीं जुटा पाते और अगर बनवाते भी लेते हैं तो मजबूती को लेकर संशय हमेशा बना रहता है। ऐसे लोगों को अब परेशान होने की जरूरत नहीं। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के शोधार्थी पीयूष कुमार ने शोध निर्देशक सहायक आचार्य डा. विनय भूषण चौहान के मार्गदर्शन में उनके लिए एक रिडक्शन फैक्टर तैयार किया है। पीयूष का फैक्टर यह निर्धारित कर देगा कि सुरंग के आसपास मजबूत भवन के निर्माण का मानक क्या होगा।

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गणितीय आगणन आधारित है फैक्टर 

सुरंग के आकार के आधार पर फैक्टर यह बताएगा कि उससे कम से कम कितनी दूरी पर भवन बनाया जाए। भवन के नींव की भारवहन क्षमता क्या होगी यानी उस पर अधिकतम कितने तल का भवन बनाया जा सकता है। चार अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशन के साथ पीयूष के शोध पर मुहर भी लग चुकी है। इनमें 'अमेरिकन सोसाइटी आफ सिविल इंजीनियरिंग जर्नल पब्लिशिंग हाउस' का प्रतिष्ठित जर्नल 'इंटरनेशनल जर्नल आफ जिओमैकेनिक्स' भी शामिल है। शोध प्रकाशन करने वालों में अन्य जर्नल हैं- इनोवेटिव इंफ्रास्ट्रक्चर साल्यूशंस, अरेबियन जर्नल आफ जिओसाइंस और इंडियन जिओटेक्निकल जर्नल। ये तीनों ही जर्नल अमेरिकी हैं।

भूमिगत संरचना के बढ़ते चलन ने शोध को किया प्रेरित

पीयूष कुमार ने बताया कि बीते वर्षों में भौतिक जरूरतों के लिए भूमिगत संरचना के बढ़े प्रचलन और भूमि के दोहन से प्राकृतिक भूगर्भीय प्रक्रिया के चलते बढ़ रहे भूमिगत खोखलेपन ने उन्हें इस शोध के लिए प्रेरित किया। उन्हें ऐसे कई लोग मिले, जो सुरंग के आसपास भवन निर्माण तो कराना चाहते थे लेकिन मजबूती को लेकर चिंतित थे। इसी चिंता को दूर करने के लिए उन्हें सुरंग के पास मजबूत भवन निर्माण की संभावना पर शोध किया जाना जरूरी लगा।

दो स्थितियों का अनुपात है रिडक्शन फैक्टर: डॉ. विनय भूषण

शोध निर्देशक डॉ. विनय भूषण चौहान ने बताया कि पीयूष का रिडक्शन फैक्टर दो स्थितियों का अनुपात है। पहली स्थिति में भवन की नींव भारवहन क्षमता का आकलन भूमिगत सुरंग की अनुपस्थिति में किया गया है जबकि दूसरी स्थिति में यही आकलन सुरंग की उपस्थिति में किया गया है। एडाप्टिव फाइनाइट एलिमेंट लिमिट एनालिसिस के माध्यम से दोनों स्थितियों के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर नींव की भारवहन क्षमता निर्धारित की जाती है। यह फैक्टर सुरंग से नींव की दूरी के साथ-साथ चट्टानों की गुणवत्ता पर नींव की निर्भरता का आकलन भी करता है। क्योंकि चट्टान की गुणवत्ता की भी नींव के सामर्थ्य निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

दोहरे सुरंग की स्थिति का कर रहे आकलन

डॉ. विनय ने इस शोध की जानकारी देने के साथ-साथ इसी से जुड़े अपने अगले शोध प्रोजेक्ट के बारे में भी बताया। बताया कि अपने शोधार्थियों के साथ वह अगल-बगल दो सुरंगों की मौजूदगी में सुरक्षित और मजबूत भवन निर्माण के लिए नींव की भारवहन क्षमता व सुरंग से उसकी दूरी के आकलन पर कार्य कर रहे हैं।


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