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मिशन-2024 के लिए भाजपा ने बनाई सांसद और विधायकों की टीमें, बूथों को तीन कटेगरी में बांटा

BJP mission 2024 भाजपा ने लोक सभा चुनाव 2024 की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए सांसदों व विधायकों की टीमें बनाई गई हैं। बूथों को तीन कटेगरी में बांटकर सांसदों व विधायकों को जिम्मेदारी दी गई है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 14 Jun 2022 09:20 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jun 2022 08:47 AM (IST)
मिशन-2024 के लिए भाजपा ने बनाई सांसद और विधायकों की टीमें, बूथों को तीन कटेगरी में बांटा
BJP mission 2024: भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। - प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, डा. राकेश राय। 'बूथ जीता तो चुनाव जीता' के अपने पुराने और फुलप्रूफ फार्मूले को भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अभी से लागू कर दिया है। बाकायदा 'ए', 'बी' और 'सी' कैटेगरी बनाकर इसके लिए सांसदों व विधायकों की जिम्मेदारी भी तय कर दी है। उनकी टीम भी बना दी गई है। सांसदों को सभी विधानसभा क्षेत्रों के लिए छह-छह सदस्यों की टीम दी गई है। विधायक 10 कार्यकर्ताओं की टीम के साथ अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में कमजोर बूथों की मजबूती के लिए कार्य करेंगे। पार्टी नेतृत्व की ओर से उन्हें कमजोर बूथों पर कैंप करने का निर्देश मिल चुका है।

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तीन कटेगरी में बांटे गए हैं बूथ

कैटेगरी का निर्धारण पार्टी ने इस बार अलग फार्मूले पर किया है। इस बार मजबूत, कम मजबूत, कमजोर के फार्मूले पर कार्यकर्ताओं को काम नहीं करना है बल्कि केवल कमजोर बूथों केटेगरी बनाई गई है। इनमें कम अंतर से हार वाले बूथों को 'ए', ज्यादा अंतर से हारने वाले बूथों को 'बी' और बुरी तरह हारने वालों बूथों को 'सी' कैटेगरी में रखा गया है। कम अंतर से हारने वाले बूथों पर पार्टी का विशेष ध्यान है।

हर बूथ की अलग-अलग प्लानिंग

पार्टी नेतृत्व का मानना है कि इन बूथों पर आसानी से वर्चस्व बनाया जा सकता है। ज्यादा अंतर से हार वाले 'बी' केटेगरी के बूथों पर मतदाताओं को कार्यशाला और संगोष्ठी के जरिए जोड़ने की योजना बनाई गई है। 'सी' कैटेगरी के बूथाें पर पकड़ बनाने के लिए सांसदों और विधायकों को कहा गया है कि वह कल्याणकारी योजनाओं को हथियार बनाएं। योजना के लाभार्थियों के साथ चौपाल लगाएं। जिन बूथों पर कार्यकर्ताओं के अभाव में अभी तक बूथ समिति भी गठित नहीं हो सकी, वहां लाभार्थियों को पार्टी से जोड़कर बूथ समिति बनाएं। जनप्रतिनिधियों से कहा गया है कि 'सी' केटेगरी के बूथों पर लाभार्थियों का डाटा तैयार करके ही जाएं, जिससे उन्हें चिन्हित करना आसान हो। क्षेत्रीय अध्यक्ष डा. धर्मेंद्र सिंह के मुताबिक कमजोर बूथों को मजबूत करने के लिए पार्टी नेतृत्व के निर्देश का अनुपालन शुरू कर दिया है।

चार चुनाव को आधार पर निर्धारित की गई है कैटेगरी

कमजोर बूथों की कैटेगरी निर्धारित करने के लिए भाजपा ने पिछले चार चुनावों को आधार बनाया है। इनमें 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017 व 2022 के विधानसभा चुनाव शामिल हैं। बूथों को लेकर क्षेत्र से मिली जानकारी के आधार पर कटेगरी का निर्धारण प्रदेश नेतृत्व की ओर से किया गया है। लोकसभा क्षेत्रवार केटेगरी के साथ चिन्हित किए गए कमजोर बूथाें की सूची मिलने के बाद उनकी मजबूती के लिए क्षेत्रीय टीम के सहयोग से सांसदों और विधायकों ने कार्य करना शुरू कर दिया है।

आजमगढ़, मऊ और बस्ती में सर्वाधिक है कमजोर बूथों की संख्या

भाजपा सूत्रों के अनुसार सर्वाधिक कमजोर बूथ आजमगढ़ जिले हैं। दूसरे नंबर में मऊ जिले का है। गोरखपुर-बस्ती मंडल की बात करें तो यहां कमजोर बूथों की संख्या में बस्ती सबसे आगे है। जिन लोकसभा व विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के जनप्रतिनिधि नहीं हैं, वहां आसपास के जिलों के जनप्रतिनिधियों को लगाया गया है।


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