Move to Jagran APP

फिर मुंबई और दिल्ली वापस होने लगे प्रवासी, बोले-मुश्किल हो रहा घर चलाना Gorakhpur News

अब तो वही मालिक फिर से भगवान जैसा दिखने लगा है जिसने कंपनी में ताला लगाकर सड़क पर छोड़ दिया था। जिस कंपनी में काम करते थे उसके मालिक ने टिकट करा दिया है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 05:20 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 05:20 PM (IST)
फिर मुंबई और दिल्ली वापस होने लगे प्रवासी, बोले-मुश्किल हो रहा घर चलाना Gorakhpur News
फिर मुंबई और दिल्ली वापस होने लगे प्रवासी, बोले-मुश्किल हो रहा घर चलाना Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। लॉकडाउन में परदेस से घर लौटे पूर्वांचल और बिहार के कामगारों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। जो पैसे बचाकर रखे थे, वे खर्च हो गए। घर खर्च चलाना भारी पड़ रहा है। कोई कल-कारखाना है नहीं, जहां नौकरी मांगने जाएं। गांव में प्रधान सुनता ही नहीं। व्यवसाय के लिए न पैसे हैं और न समझ। बाजार भी मंदा है। अब तो वही मालिक फिर से भगवान जैसा दिखने लगा है, जिसने कंपनी में ताला लगाकर सड़क पर छोड़ दिया था। निराश और बेदम होकर श्रमिक ट्रेनों के सहारे घर पहुंचे कामगार अब स्पेशल ट्रेनों से वापस होने लगे हैं। दिल में संक्रमण का डर है, लेकिन पेट की आग से महामारी रूपी पैरों की बेडिय़ां भी पिघल गई हैं। अब तो सिर्फ परिवार दिख रहा और रोजी-रोटी।

prime article banner

गांव में प्रधान सुनता नहीं, कंपनी से आ गया बुलावा

गोरखपुर के प्लेटफार्म नंबर दो पर दिल्ली के रास्ते हिसार जाने वाली गोरखधाम स्पेशल खड़ी थी। यात्री बोगियों में चढ़ रहे थे। कुछ युवा प्लेटफार्म पर ही चुपचाप बैठे थे। उत्सुकता हुई तो पूछ बैठा, कहां जाना है? नासिक, लेकिन यह ट्रेन तो दिल्ली जाएगी। मुंबई वाली ट्रेन कुशीनगर एक्सप्रेस शाम सात बजे यहीं से जाएगी। हमलोग पहले ही आ गए हैं। युवाओं में से एक निखिल ने बताया कि वे सभी पगरा (बसंतपुर) कुशीनगर के रहने वाले हैं। 17 मई को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आए थे। उन्‍होंने कहा कि घर बैठकर कब तक खाएंगे। कोई रोजगार नहीं मिल रहा। बड़ा भाई मनरेगा में काम करता है। प्रधान भी सुनता नहीं। आखिर कहां जाएं, किससे नौकरी मांगे। बीच में ही अनिल बोल पड़ा। जिस कंपनी में काम करते थे, उसके मालिक ने टिकट करा दिया है। वहां एक सप्ताह क्वारंटाइन में रखेगा। फिर काम में जुट जाएंगे। संक्रमण से डरेंगे तो परिवार और बच्‍चों का क्या होगा।

गांव में कोई काम नहीं, घर बैठने से पेट नहीं भरेगा

इसी बीच ध्यान गोरखधाम एक्सप्रेस पर चला गया। एसी टू के एवन कोच में बर्थ नंबर 25 पर बैठे मकसूद रहमान दिल्ली जा रहे थे। उन्होंने बताया कि वह दिल्ली में निजी कंपनी में मार्केटिंग का काम करते हैं। बहनोई की तबीयत खराब हुई तो लॉकडाउन में एंबुलेंस से गोरखपुर स्थित रसूलपुर अपने घर आ गए। अनलॉक हुआ तो दस जून को टिकट कराया था, लेकिन पता चला कि दिल्ली में संक्रमण बढ़ गया है। टिकट वापस करा लिया। हालांकि, स्थिति अभी भी ठीक नहीं है, लेकिन कंपनी वाले दबाव बना रहे हैं। दिल्ली में फार्मासिस्ट अशोक कुमार बी टू कोच के बर्थ नंबर 59 पर उदास बैठे थे। पूछने पर बताया कि परिवार को छोडऩे आया था। अब वापस जाने का मन नहीं कर रहा, लेकिन गांव में रहकर क्या करेंगे। जनरल बोगी से बाहर एकटक निहार रहा अशोक बांद्रा एक्सप्रेस से बेतिया से गोरखपुर पहुंचा था। यहां से वह रोजगार की तलाश में दिल्ली जा रहा था। बोला, यहां तो मजदूर का भी काम नहीं मिल रहा। श्रमिक ट्रेन से आए थे। गांव में धान की रोपाई हो गई है। घर बैठकर क्या करेंगे। लॉकडाउन में घर पहुंचे नौकरीपेशा और कामगार मजबूरी में बाहर निकल रहे हैं। सामान्य लोग अभी भी यात्रा से परहेज कर रहे हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.