सामाजिक आचरण एवं कानून की आधारशिला है धर्म : प्रो. मिश्र
गोरखपुर : वर्तमान समाज प्रगतिवादी समाज है, जिसमें मूल्यों की भारी कमी है। यह मूल धर्म से आते है
गोरखपुर : वर्तमान समाज प्रगतिवादी समाज है, जिसमें मूल्यों की भारी कमी है। यह मूल धर्म से आते हैं और विधि इन दोनों में सामंजस्य स्थापित करती है।
उक्त बातें दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के विधि संकाय के तत्वावधान में धर्म, समाज एवं कानून विषय पर आयोजित आचार्य प्रतापादित्य राम त्रिपाठी स्मृति व्याख्यान के अवसर पर मुख्य वक्ता बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ला स्कूल के प्रो. डीके मिश्रा ने कही। उन्होंने कहा कि जहा विज्ञान का अंत होता है धर्म वहा से आरंभ होता है और तब समाज धर्म का उद्घोष करने लगता है। इसके पूर्व विधि संकाय के अध्यक्ष और अधिष्ठाता प्रो. जितेंद्र मिश्र ने स्वागत एवं विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि धर्म स्वयं परिवर्तित नहीं होता, बल्कि परिवर्तन का संकेत देता है। उन्होंने कहा कि जो धर्म किसी धर्म को बाधित करें वह धर्म नहीं अधर्म है तथा जो धर्म किसी को प्रगति का रास्ता दिखाएं वही असल धर्म है। धर्म आचरण का विषय है यही धर्म तदंतर विधि के रूप में परिणत हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीके सिंह ने कहा कि मानव समाज का कल्याण ही धर्म का उद्देश्य है और धर्म के आचरण के बिना विकास की पराकाष्ठा नहीं प्राप्त की जा सकती। कार्यक्रम बाद विधि विभाग में पौधरोपण किया गया।
कार्यक्रम में अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए वनस्पति विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. एससी त्रिपाठी ने कहा कि लुप्त हो रहे स्मृति व्याख्यानों की परंपरा को पुनर्जीवित करने हेतु प्रो. जितेंद्र मिश्र विशेष बधाई के पात्र हैं। कार्यक्त्रम का संचालन विधि छात्र सर्वेश पाडे ने किया।कार्यक्त्रम में बतौर अतिथि प्रो. राजेंद्र राव, प्रो. मुकुंद शरण त्रिपाठी, प्रो. गोपाल प्रसाद,प्रो. एससी पाडेय,प्रो. चंद्रशेखर,प्रो. अहमद नसीम,प्रो.गोपीनाथ,प्रो.हरिशरण,प्रो. अवधेश तिवारी,प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी,प्रो. वी. एन.पाण्डेय, प्रो. एस.के. सिंह, अमित दुबे, रामकृष्ण त्रिपाठी, अभय मल्ल, जयप्रकाश आर्य एवं विधि संकाय के कर्मचारीगण तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।