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Tulsi Vivah: भगवान शालिग्राम व माता तुलसी को लगाई गई हल्दी Gorakhpur News

गुरुवार को भगवान शालिग्राम की बरात सायं चार बजे मदन मोहन जी मंदिर आर्यनगर से निकाली जाएगी। रात लगभग नौ बजे हजारीपुर में विवाह कराया जाएगा। इससे पूर्व भगवान शालिग्राम (विष्णु) व माता तुलसी को मेंहदी हल्दी कुमकुम लगाया गया।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 11:34 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 11:34 AM (IST)
Tulsi Vivah: भगवान शालिग्राम व माता तुलसी को लगाई गई हल्दी Gorakhpur News
हजारीपुर में तुलसी विवाह के दौरान हल्दी रस्म में उपस्थित महिलाएं।

गोरखपुर, जेएनएन। कान्हा सेवा संस्थान के तत्वावधान में भगवान शालिग्राम (विष्णु) व माता तुलसी का विवाह गुरुवार को कराया जाएगा। बुधवार को हल्दी की रस्म अदायगी हुई। दोनों लोगों को मेंहदी, हल्दी, कुमकुम लगाया गया। मंगल गीतों व भजनों से माहौल भक्तिमय हो गया था।

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कार्यक्रम की शुरुआत सुबह श्रीसत्य नारायण कथा से हुई। सायं श्रीरामचरितमानस के सुंदर कांड का पाठ किया गया। इसके बाद पूजन व आरती की गई। तत्पश्चात रीति-रिवाज के साथ हल्दी की रस्म निभाई गई। पीले वस्त्रों में सुसज्जित महिलाओं ने बारी-बारी से भगवान शालिग्राम व माता तुलसी को हल्दी लगाई। देर रात तक माहौल मंगल गीतों व भजनों से गूंजता रहा। अंत में श्रद्धालुओं ने डांडिया कर अपनी आस्था व श्रद्धा अर्पित की। गुरुवार को भगवान शालिग्राम की बरात सायं चार बजे मदन मोहन जी मंदिर, आर्यनगर से निकाली जाएगी। रात लगभग नौ बजे हजारीपुर में विवाह कराया जाएगा। कार्यक्रम में प्रबंधक अनुपम कुमार, नीतू गोयल, ममता गुप्ता, मीना पांडेय, सिंधु देवी, संध्या अग्रवाल, सरिता देवी, जनक दुलारी, ममता कुशवाहा, सुमन यादव आदि शामिल रहीं।

आंगन से हर कमरे तक बनाया गया भगवान के जाने का रास्ता

कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवोत्थान एकादशी) को आस्था व श्रद्धा के साथ मनाई गई। श्रद्धालु व्रत रहे और विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। पूरा दिन भगवान विष्णु की आराधना में बीता। गंजी, सुथनी, सिंघाड़ा व गन्ना अर्पित कर पुन: उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। 

सुबह घर की साफ-सफाई कर श्रद्धालुओं ने स्नान किया और व्रत का संकल्प लिया। भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की। दोपहर बाद आंगन में अल्पना बनाई गई, वहां से घर के हर कमरे तक दो सामानांतर रेखाएं खींची गईं। रेखाओं के बीच में छोटे-छोटे पद चिह्न बनाए गए। मान्यता है कि इसी रास्ते से भगवान विष्णु हर कमरे तक जाएंगे और पूरे घर को पवित्र करेंगे। शाम को पुन: भगवान की पूजा-अर्चना की गई। इसी दिन के बाद समस्त वैवाहिक व मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन भगवान क्षीर सागर में शयन करने चले जाते हैं। चार माह बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। इन चार महीनों में समस्त वैवाहिक व मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं।

दीपों से जगमगाया राजघाट

हांसूपुर निवासियों ने एकादशी के अवसर पर बुधवार को राप्ती नदी के राजघाट पर दीपदान किया। कुल 5001 दीप जलाए गए। पूरा घाट दीपों की रोशनी से जगमगा उठा। गंगा मइया का जयघोष गूंज रहा था।

कार्यक्रम की शुरुआत पुरोहित सूर्य नारायण मिश्रा ने पूजन से की। इसके बाद थालियों में सजाए गए 51 दीपों से मां राप्ती की आरती हुई। कार्यक्रम में चंद्र प्रकाश वर्मा, राहुल, अनुराग मझवार, डा. शिवशंकर, देवेंद्र वर्मा व रतन कुमार आदि का सहयोग रहा।


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