Terrorist attack on CRPF Group Center शहीद के परिजन बोले, अदालत के फैसले से मिला सकून
Terrorist attack on CRPF Group Center रामपुर के सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों में गोरखपुर के ऋषिकेश राय भी शामिल थे।
गोरखपुर, ओम प्रकाश त्रिपाठी। Terrorist attack on CRPF Group Center बारह वर्ष पूर्व रामपुर के सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों में गोरखपुर के बांसगांव क्षेत्र के चाड़ी निवासी ऋषिकेश राय भी शामिल थे। इस मामले में कोर्ट ने छह को दोषी माना है। इनमें से चार को फांसी, एक को आजीवन कारावास और एक को दस साल की सजा हुई है। ऋषिकेश राय की पत्नी व परिवार के लोगों का कहना है कि चार को फांसी होने से राहत तो मिली है, लेकिन बाकी दो को भी फांसी होनी चाहिए थी। हमले की साजिश में और भी आतंकी रहे होंगे, उन्हें भी बेनकाब कर सजा मिलनी चाहिए।
हरे हुए पुराने जख्म
छह आरोपितों को दोषी मानने की खबर आने के बाद परिवार के पुराने जख्म भी हरे हो गए। ऋषिकेश राय की पत्नी कमला राय ने फोन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उस समय केंद्र व प्रदेश सरकार के मंत्रियों ने परिवार को सरकार से मदद दिलाने का वादा किया था, लेकिन वक्त बीतने के साथ ही सभी अपने वादे भूल गए। पति की शहादत के बाद तीन बेटियों को पालने में जितनी मुश्किलें आईं, उसे बयान नहीं कर सकती।
कमला राय अपनी दूसरी बेटी के साथ रामपुर में ही रहती हैं। बेटी वहीं सीआरपीएफ में तैनात है। ऋषिकेश की शहादत के बाद कमला की दुनिया ही बिखर गई थी। उस समय तीन बेटियों ममता (18), नम्रता (16) व सरिता (10) की पढ़ाई-लिखाई और उनकी शादी की चिंता उन्हें काफी परेशान करती थी। हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और हालात से जूझती रहीं।
बेटी ने चुनी सीआरपीएफ की नौकरी
ऋषिकेश की शहादत के बाद सरकार ने उनकी जगह परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन यह वादा कभी पूरा नहीं हुआ। हालांकि इस बीच शहीद की दूसरी बेटी नम्रता राय ने अपने दम पर सीआरपीएफ की नौकरी हासिल किया। कमला उसके साथ ही रहती हैं।
नहीं मिली सरकारी मदद
ऋषिकेश राय की शहादत के बाद उनके घर उस समय गोरखपुर के सांसद रहे योगी आदित्यनाथ के अलावा केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के कई मंत्री पहुंचे थे। मंत्रियों ने शहीद के परिवार ढांढस बंधाते हुए मकान देने, परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने तथा पेट्रोल पंप का लाइसेंस देने के साथ ही गांव के बाहर ऋषिकेश राय की स्मृति में शहीद द्वार बनवाने और उनकी मूर्ति स्थापित कराने का वादा किया था, लेकिन आज तक वादा नहीं पूरा हुआ।