भ्रम में न रहें...यह बादल नहीं, पटाखाेें की है करामात Gorakhpur News
दिवाली की आतिशबाजी ने मौसम का समीकरण भी बदल दिया। आतिशबाजी से निकलने वाला धुआं जब पुरुवा हवाओं की नमी का साथ मिला तो आसमान में स्मॉग की स्थिति बन गई।
गोरखपुर, जेएनएन। हर चेतावनियों और सावधानियों को नजरअंदाज करना अब लोगों को भारी पड़ने लगा है। आसमान में जमे काले बादल दरअसल बादल नहीं स्मॉग थे। यह ऐसे ही नहीं हुए। दिवाली की आतिशबाजी ने मौसम का समीकरण भी बदल दिया। आतिशबाजी से निकलने वाला धुआं जब पुरुवा हवाओं की नमी का साथ मिला तो आसमान में स्मॉग की स्थिति बन गई। मंगलवार की सुबह से आसमान में जमे काले बादल दरअसल बादल नहीं स्मॉग थे। मौसम विशेषज्ञ कैलाश पांडेय ने अपने अध्ययन से इसकी तस्दीक की है।
पछुआ हवाएं ही दिला सकती हैं मुक्ति
उन्होंने बताया कि बंगाल की खाड़ी के ऊपर निम्न वायुदाब क्षेत्र बना है। इसकी वजह से उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और झारखंड में बारिश हो रही है। बीते तीन दिन से चल रही पुरुवा हवाएं उस बारिश की नमी को पूर्वी उत्तर प्रदेश तक पहुंचा रही हैं। मंगलवार को गोरखपुर की न्यूनतम आद्र्रता का प्रतिशत 57 से नीचे न आना इसकी नमी के बढ़े स्तर की पुष्टि करता है। ऐसे में दिवाली में जब आतिशबाजी हुई तो उससे निकलने वाला धुआं नमी के साथ आसमान में काले बादलों की तरह जम गया। इसकी वजह से सूर्य की किरणें लगभग पूरे दिन अपनी रौ में धरती तक नहीं पहुंच सकीं। मौसम विशेषज्ञ के मुताबिक इस स्मॉग से मुक्ति सुखी पछुआ हवाएं ही दिला सकती हैं। पछुआ हवाओं के चलने से नमी का दायरा सिमटेगा और आसमान में जमे धूल के कण जमीन पर आ जाएंगे। ऐसा होने पर ही गोरखपुर सहित समूचे पूर्वांचल को दिवाली में बढ़े प्रदूषण से राहत मिलेगी। यदि पछुआ हवाएं नहीं चलीं तो स्थिति ऐसी ही बनी रहेगी।
अब भी लोग सावधान हो जाएं तो बेहतर
पूर्वांचल में ऐसा पहली बार हुआ है। इसका मतलब लोगों को अब से सावधान हो जाना चाहिए। अन्यथा आम जनता बुरी तरह से प्रभावित होगी। इस समस्या का निदान सिर्फ प्रकृति ही कर सकती है। इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हमें कुछ न कुछ करना पड़ेगा।