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मेजर डीएन सिंह के जेहन में अब भी ताजा है 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध

मेजर (सेवानिवृत) डीएन सिंह का मानना है कि पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमानों ने हमारी सेना के ऊपर हमला किया है इसलिए हमें भी पाकिस्तानी सेना पर हमला करना चाहिए।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 01 Mar 2019 01:17 PM (IST)Updated: Fri, 01 Mar 2019 04:43 PM (IST)
मेजर डीएन सिंह के जेहन में अब भी ताजा है 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध
मेजर डीएन सिंह के जेहन में अब भी ताजा है 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध

गोरखपुर, राजेश्वर शुक्ला। मेजर (सेवानिवृत) डीएन सिंह के जेहन में भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 में हुए युद्ध के हर पल ताजा हैं। उनका मानना है कि पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमानों ने हमारी सेना के ऊपर हमला किया है इसलिए हमें भी पाकिस्तानी सेना पर हमला करने में तनिक भी संकोच नहीं करना चाहिए। और इसके लिए सिर्फ विंग कमांडर अभिनंदन के भारत आने तक इंतजार की जरूरत होनी चाहिए। जब तक पाकिस्तान मसूद अजहर को हैंडओवर नहीं करता, तब तक रुकने की भी जरूरत नहीं है।

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मेजर ने दुश्मनों के छुड़ाए थे छक्के

1965 के भारत-पाक युद्ध में भाग ले चुके मेजर डीएन सिंह बताते हैं कि युद्ध की शुरुआत तो आठ अप्रैल को क'छ से हो चुकी थी लेकिन जून में युद्ध विराम की घोषणा कर दी गई। चार अगस्त को अखनूर सेक्टर में फिर से युद्ध शुरू हो गया, जो 31 अगस्त तक चला। इसे युद्ध नहीं माना गया। 31 अगस्त को जब पाकिस्तानी सेना के टैंक हमला करने आगे बढ़े तो 15 कुमायूं रेजीमेंट (ग्वालियर) के हवलदार देवी प्रकाश सिंह निवासी बदौली जनपद फैजाबाद ने राकेट लांचर से टैंक को निशाना बनाया लेकिन वह चूक गया। उन्होंने दोबारा निशाना दागा। तब तक पाकिस्तानी सेना के दूसरे टैंक ने मशीनगन से फायर कर दिया जिसमें हवलदार देवी प्रसाद शहीद हो गए। देवी प्रकाश की शहादत ने जम्मू व अखनूर को बचा लिया। उन्हें वीर चक्र से नवाजा गया। इसके बाद भारतीय सैनिकों की चौकसी के कारण पाकिस्तानी सेना वापस हो गई। अगले दिन यानि एक सितंबर को पाकिस्तानी टैंक फिर अखनूर की ओर बढऩे लगे लेकिन तब तक भारतीय सेना को युद्ध के लिए आदेश मिल चुका था। 22 सितंबर तक दोनों देशों के बीच युद्ध चला। इस युद्ध में उन्हें एक पैर गंवाना पड़ गया था।

गोरखपुर जिले के दो जवान हुए थे शहीद

जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालय के अनुसार उस युद्ध में गोरखपुर जनपद के दो जवान गगहा के मानो किशनपुर निवासी रामबहादुर चंद कुमायूं रेजीमेंट और  कसिहार निवासी शंभू शरण तिवारी राजपूत रेजीमेंट शहीद हुए थे।

वीर चक्र विजेता हैं डीएन सिंह

वीर चक्र विजेता मेजर डीएन सिंह गोरखपुर के गगहा के करवल-मझगांवा गांव के निवासी हैं। जुलाई 1960 में इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून से भारतीय सेना से जुड़े। 17 दिसंबर 1961 को सेकेंड लेफ्टिनेंट के रूप में थर्ड कुमायुं रायफल में जम्मू-कश्मीर के बल्लोई पोस्ट नंबर 16 में तैनाती मिली। उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति डा.सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने वीर चक्र प्रदान किया था। मेजर डीएन सिंह चार भाई हैं और चारो सेना में रहे। दोनों बेटों में बड़े ब्रिगेडियर वीपीएस कौशिक (सेना मेडल) व छोटे बेटे ब्रिगेडियर एसपी सिंह (युद्ध सेवा मेडल) सेना में हैं। उनके पौत्र कैप्टन दिग्विजय सिंह कुमायूं रेजीमेंट में अरुणाचल प्रदेश में तैनात हैं।


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