सब्जी की खेती से मालामाल हो रहे हैं इस गांव के किसान, कभी दो वक्त की रोटी का भी नहीं कर पा रहे थे इंतजाम
महराजगंज जिले के बिरैचा गांव में किसानों की रुचि सब्जी की खेती को लेकर बढ़ गया है। इस छोटे से गांव में आज स्थिति यह है कि व्यापारी गांव से वाहनों पर लादकर प्रतिदिन सैकड़ो क्विंटल सब्जी ले जाते हैं।
महराजगंज, अनुज कुमार तिवारी। महराजगंज जिले के बिरैचा गांव जो कभी क्षेत्र के सबसे पिछड़े और निर्धन गांव के रूप में शुमार था। अन्य गांवों की अपेक्षा आधुनिक सुख-सुविधाएं तो दूर यहां के बहुसंख्यक बाशिंदों को दो वक्त की रोटी का इंतजाम नहीं हो पाता था। गांव में गरीबी अपने चरम पर थी। एक-दो दशक पूर्व गांव का ज्यादातर परिवार कच्चे मकानों और फूस की झोपड़ियों में रह करता था। यह गांव अब पूरी तरह से खुशहाल है।
सेठई ने दिखाई सब्जी की खेती की राह: गांव के खुशहाली का श्रेय जाता है पूर्व प्रधान सेठई को। हुआ यह तकरीबन 40 वर्ष पूर्व अपनी युवावस्था में आर्थिक तंगी और बदहाली की मार झेल रहे सेठई जब पंजाब से हाड़तोड़ मेहनत व मजदूरी करने के बाद भी उन्हें इतने पैसे नहीं मिलते थे कि वह स्वजन की आजीविका बेहतर ढंग से चल सकें। तब वह कुछ महीनों में ही घर वापस लौट आए। उन्होंने ठान लिया कि वह पैसा कमाने प्रदेश कमाने नहीं जाएंगे।
सेठई ने गांव में ही अपनी जमीन में सब्जी की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करनी की ठानी। फिर तो सेठई अपने खेत मे नाम मात्र का धान गेहूं बोते थे और अधिकांश भूमि में सब्जी की खेती कर जबरदस्त आमदनी करने लगे। फिर तो गांव के दूसरे किसान भी उनकी राह पर चल पड़े। सब्जी की खेती कर अपनी जिंदगी को खुशहाल कर दिया।
आज आलम यह है कि बिरैचा गांव के 60 फीसद किसान सब्जी की खेती कर मालामाल हो रहे हैं। गांव के नौका टोला की आजीविका का मुख्य साधन सब्जी की खेती है सभी सब्जी की खेती कर अपनी आमदनी में वृद्धि कर रहे हैं। गांव के ज्यादातर लोग छोटे किसान हैं। गांव के निवासी हीरा भगत, सुग्रीव, चंद्रिका, सरफुल्लाह अंसारी, मुस्तफा, बाबूराम निषाद, अलग राय, मुन्ना भारती, रामधनी, हरिवंश कुशवाहा, पन्नेलाल व रामचंद्र जैसे दर्जनों ऐसे किसान हैं जो विगत कई वर्षों से सब्जी कर अपनी किस्मत बदल चुके हैं।