गोरखपुर, जागरण संवाददाता। मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद के आत्मसमर्पण के पीछे उन पर बढ़ता चौतरफा दबाव अहम कारण बना। बिहार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) दो दिन पूर्व ही उनके आजादनगर पूर्वी स्थित आवास पर आ धमकी थी। 17 नवंबर 2021 को भी यहां आई टीम ने कई घंटे सर्च आपरेशन चलाया था। तभी से कुलपति का आवास बिहार की एसवीयू के रडार पर था।
ये है पूरा मामला
कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद तीन माह पहले गया से सरकारी गाड़ी से गोरखपुर आए थे। उनके पास बड़ी मात्रा में नकदी होने की सूचना पर गोरखपुर पुलिस ने विश्वविद्यालय चौराहा पर गाड़ी रोककर तलाशी ली, लेकिन कुछ मिला नहीं। उन्होंने पुलिस से चेकिंग की वजह पूछी तो पुलिस ने गलतफहमी में गाड़ी रोकने की बात कहकर मामले को टाल दिया। इसके बाद उन पर मुकदमा दर्ज हुआ तो 17 नवंबर को बिहार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने उनके आवास पर छापा मारकर गहने, दस्तावेज और उपहारों के बारे में पूछताछ की। गहनों का मूल्यांकन करने के बाद इसे परिवार को वापस कर दिया गया था। नकदी व दस्तावेज लेकर टीम पटना लौट गई।
गोरखपुर में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे
गोरखपुर विश्वविद्यालय में रक्षा अध्ययन विभाग के प्रो. राजेंद्र प्रसाद 24 दिसंबर, 1990 से चार जुलाई, 2008 तक विभागाध्यक्ष रहे। छह जनवरी, 2010 से पांच जनवरी, 2013 तक विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता रहे। नौ सितंबर, 2012 से पांच जनवरी, 2013 तक गोरखपुर विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी के साथ-साथ विश्वविद्यालय के वित्तीय प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
चार बार विवि के मुख्य नियंता के साथ ही वरिष्ठतम प्रोफेसर होने के कारण सत्र 2011, 2012, 2013, 2014, 2015 व 2016 में गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रभारी कुलपति के रूप में भी अल्पकालिक योगदान दिया। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाने के कारण सपा शासनकाल में सितंबर, 2015 से 16 जून, 2016 तक वह प्रयागराज राज्य विवि के ओएसडी (विशेष कार्याधिकारी) और उसके बाद संस्थापक कुलपति बनाए गए। इस पद पर 25 जून 2019 तक आसीन रहे।
पूर्व कुलपति की कार पर हमले का आरोप भी लगा
गोरखपुर विवि के पूर्व कुलपति प्रो. अरुण कुमार की कार पर कुछ अराजक तत्वों ने हमला किया था, जिसमें प्रो राजेन्द्र प्रसाद का भी नाम आया था। इस मामले को लेकर कार्य परिषद ने अनुशासनिक समिति गठित की। हालांकि, बाद में वह इस मामले में बरी हो गए थे।