नाबार्ड के साथ ड्रोन पायलट तैयार करेगा एमएमएमयूटी, युवाओं को मिलेगी ट्रेनिंग
Madan Mohan Malaviya University of Technology किसानों की मदद के लिए नाबार्ड न केवल 50 से 100 युवाओं को ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग कराएगा बल्कि विश्वविद्यालय से इस कोर्स को करने वाले युवाओं की 60 प्रतिशत फीस भी वहन करेगा।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की ओर से तैयार किए गए ड्रोन आधारित एग्रीकल्चर मानिटरिंग सिस्टम (एएमएस) को किसानों के खेत तक पहुंचाने के लिए नाबार्ड भी आगे आया है। एएमएस के इस्तेमाल के लिए ड्रोन पायलट और ड्राेन टेक्नीशियन तैयार करने की विश्वविद्यालय की योजना में भागीदारी के लिए नाबार्ड के जिला प्रबंधन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से संपर्क साधा है।
खुद के लिए तैयार कराएगा पायलट, कोर्स में करेगा युवाओं की आर्थिक मदद
किसानों की मदद के लिए नाबार्ड न केवल 50 से 100 युवाओं को ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग कराएगा बल्कि विश्वविद्यालय से इस कोर्स को करने वाले युवाओं की 60 प्रतिशत फीस भी वहन करेगा। बहुत जल्द इसे लेकर विश्वविद्यालय और नाबार्ड के बीच समझौते की औपचारिक प्रक्रिया पूरी की जाएगी। बीते वर्ष विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने खेती में किसानों की मदद के लिए ड्रोन आधारित एएमएस तैयार किया। खेतों में परीक्षण के बाद जब विश्वविद्यालय ने उसे किसानों तक पहुंचाने की योजना बनानी शुरू की तो ड्रोन के संचालन की समस्या सामने आने लगी। इसे देखते हुए बीते दिनों विश्वविद्यालय प्रशासन ने किसानों को ड्रोन संचालन में मदद के लिए ड्रोन पायलट और ड्रोन टेक्नीशियन का कोर्स शुरू करने की घोषणा की।
नाबार्ड के जिला प्रबंधन ने सहयोग को विश्वविद्यालय प्रशासन से साधा संपर्क
इसे शुरू करने के लिए अनुमति को डीजीसीए (डायरेक्टर जनरल आफ सिविल एविएशन) कार्यालय में आवेदन कर दिया तो नाबार्ड के जिला प्रबंधन ने भी इसका संज्ञान ले लिया। नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक संचित सिंह ने विश्वविद्यालय प्रशासन से संपर्क कर कोर्स के संचालन में आर्थिक मदद का प्रस्ताव रखा। साथ ही अपने लिए कुछ ड्रोन पायलट बनाने की अपील भी की। इसके पीछे उन्होंने नाबार्ड का मकसद शोध को धरातल पर उतारना बताया।
खेती को आसान बनाएगा, किसानों की आमदनी बढ़ाएगा
एमएमयूटी के विशेषज्ञों द्वारा बनाया गया एग्रीकल्चर मानीटरिंग सिस्टम किसानों की खेती को आसान बनाने वाला है। इससे किसानों को कम खर्च और कम मेहनत में अधिक फसल पैदा करने में आसानी होगी। आमदनी भी बढ़ेगी। यह सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये मिट्टी की नमी और उसकी गुणवत्ता की जानकारी देगा। किसान मिट्टी की गुणवत्ता जानकर उसके मुताबिक फसल बो सकेंगे। सिस्टम कम समय से अधिक क्षेत्र में कीटनाशक का छिड़काव कर देगा।
ड्रोन पायलट और ड्रोन टेक्नीशियन तैयार करने में नाबार्ड ने विश्वविद्यालय को मदद का प्रस्ताव दिया है। इसका सीधा फायदा कोर्स करने वाले युवाओं को मिलेगा। वह कम खर्च में कोर्स को पूरा करके किसानों के मददगार बनेंगे। - प्रो. जेपी पांडेय, कुलपति, एमएमयूटी।