Move to Jagran APP

लखनऊ-वाराणसी दिलाएगा टेराकोटा को वैश्रि्वक पहचान

दुर्गेश त्रिपाठी, गोरखपुर : टेराकोटा कला को लखनऊ और वाराणसी से वैश्रि्वक पहचान दिलायी जाए

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Apr 2018 12:46 PM (IST)Updated: Thu, 19 Apr 2018 12:46 PM (IST)
लखनऊ-वाराणसी दिलाएगा टेराकोटा को वैश्रि्वक पहचान
लखनऊ-वाराणसी दिलाएगा टेराकोटा को वैश्रि्वक पहचान

दुर्गेश त्रिपाठी, गोरखपुर :

loksabha election banner

टेराकोटा कला को लखनऊ और वाराणसी से वैश्रि्वक पहचान दिलायी जाएगी। दोनों शहरों में टेराकोटा कलाकृतियों को रखने और बिक्री के लिए कॉटेज इम्पोरियम के निर्माण की दिशा में तेजी से काम शुरू हो गया है।

वाराणसी और लखनऊ में हर साल लाखों विदेशी सैलानी आते हैं। उनमें टेराकोटा की कलाकृतियों के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए कॉटेज इम्पोरियम बनाया जाएगा। इससे नई डिजाइन की कलाकृतियों को बेहतर बाजार मिलेगा। प्रदेश सरकार ने एक जिला, एक उत्पाद में टेराकोटा को स्थान दिया है। इससे इसकी वैश्रि्वक पहचान की दिशा में तेजी से प्रयास भी शुरू हो चुके हैं। बारीक डिजाइनों के लिए टेराकोटा कलाकृतिया बनाने वालों को 90 दिन की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। इसका उद्देश्य कलाकारों को अच्छे कार्य के लिए प्रोत्साहित करना है। ट्रेनिंग में औरंगाबाद, गुलरिहा, भरवलिया व जंगल एकला के टेराकोटा हस्तशिल्पियों को शामिल किया गया है। उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन की ओर से शुरू की गई इस ट्रेनिंग में शामिल हस्तशिल्पियों को 250 रुपये प्रतिदिन का स्टाइपेंड भी दिया जा रहा है।

यह है टेराकोटा : टेराकोटा या मिट्टी की कला, एक ऐसी कृति है जो मिट्टी से बनी होती है और पकाने पर चमक रहित होती है। यह सामान्यतया लाल रंग की होती है। भटहट ब्लाक के ग्राम औरंगाबाद के कुम्हारों द्वारा शुरू की गई इस कुम्हारी कला में अब भटहट व चरगावा के ग्राम भरवलिया, हाफिजनगर, अशरफपुर, गुलरिहा, जंगल एकला नं. 2 व शाहपुर समेत आस पास के कई गाव के लोग जुड़ चुके हैं।

परंपरागत और आधुनिक कृतिया : टेराकोटा कला में घोड़े, हाथी, ऊंट, महावत के हौदे सहित हाथी की कृतिया, भगवान गणेश व बुद्ध की प्रतिमाओं, घोड़ा गाड़ी, ऊंट गाड़ी, लैम्प शेड, झूमर आदि बनाए जाते हैं। यहा की कारीगरी विशेष रूप से हस्तकला पर आधारित है तथा इसमें प्राकृतिक रंग का ही प्रयोग होता है। इससे यह रंग स्थायी होता है।

-

टेराकोटा कला को बढ़ावा देने के लिए हर स्तर पर कार्य किया जा रहा है। हस्तशिल्पियों को ट्रेनिंग देने के साथ ही उनके उत्पाद को अच्छा बाजार देने के लिए वाराणसी और लखनऊ में उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन द्वारा काटेज इम्पोरियम बनाया जाएगा।

- पूजा श्रीवास्तव, सहायक निदेशक, उद्योग


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.