पत्नी चली गई थी मायके, पति ले आया रसोई गैस तब लौटी ससुराल
वह चूल्हे पर भोजन पकतो-पकाते बीमार हो गई थी। पति से रसोई गैस लाने के लिए कहा। जब वह नहीं लाया तो पत्नी मायके चली गई।
गोरखपुर, जेएनएन। धुएं के गुबार में आंसू पोछते हुए खाना पकाती सपना बीमार रहने लगी थी। धुएं से न सिर्फ उसकी तबीयत खराब हो रही थी बल्कि बच्चों का भी बुरा हाल रहता था। मजदूर पति से रसोई गैस के लिए कहा, लेकिन वह मजबूरी बताकर शांत हो जाता था। सपना ने रसोई गैस आने तक मायके में रहने का निर्णय लिया और मायके चली गई। 10 महीने बाद सपना तब लौटी जब पति ने उसके नाम से उज्ज्वला प्लस योजना में रसोई गैस ले ली।
गुलरिहा थाने के अराजी चिलबिलवां निवासी रमेश की शादी वर्ष 2013 में महराजगंज के परतावल ब्लॉक के लखिमा गांव की सपना से हुई। सपना ससुराल आई तो मिट्टी का चूल्हा देखकर हैरान रह गई। उसने पति रमेश से गैस के लिए बात की, लेकिन वह टालता रहा। इस बीच सपना दो बच्चों की मां बन गई, लेकिन पति गैस नहीं खरीद सका। इधर, उज्ज्वला योजना में निश्शुल्क रसोई गैस कनेक्शन मिलने की जानकारी पर सपना ने उसे गैस एजेंसी पर भेजा। पता चला कि बीपीएल या अंत्योदय कार्डधारकों के परिवार की महिला को ही योजना में कनेक्शन मिल सकता है। खुद और बच्चों को बीमार होता देख सपना मायके चली गई। हाल में केंद्र सरकार की उज्ज्वला प्लस योजना में गरीबों को गैस कनेक्शन मिलने की जानकारी हुई तो रमेश गैस एजेंसी पहुंचा। वहां से जानकारी मिलने के बाद शुक्रवार को रमेश ससुराल से सपना व बच्चों को लेकर सीधे एजेंसी पहुंचा और रसोई गैस व चूल्हा लेकर घर आया। शिव शक्ति गैस एजेंसी के मैनेजर सुनील कुमार पाडेय ने बताया कि रमेश कई बार निश्शुल्क कनेक्शन के लिए मिल चुका था, इसलिए जानकारी थी। उज्ज्वला प्लस योजना शुरू हुई तो रमेश को बुलाया गया। वहीं सपना ने कहा कि रसोई गैस घर में आने के बाद वह इतनी खुश है कि बता नहीं सकती।
नजदीकी एजेंसियों पर कर सकते हैं आवेदन
इंडियन आयल के सीनियर एरिया मैनेजर रमेश कुमार ने इस संबंध में कहा कि उज्ज्वला प्लस योजना के तहत आने वाले लाभार्थी अपने नजदीकी गैस एजेंसियों पर कनेक्शन के लिए आवेदन कर सकते हैं। सपना की जागरूकता से योजना का लाभ मिला।