नैनो तकनीक से आसान होगा जीवन
गोरखपुर : 21वीं सदी नैनो सदी बनने जा रही है। विभिन्न क्षेत्रों में नैनो तकनीक विकसित करने के
गोरखपुर : 21वीं सदी नैनो सदी बनने जा रही है। विभिन्न क्षेत्रों में नैनो तकनीक विकसित करने के लिए दुनिया भर में बड़े पैमाने पर शोध हो रहे हैं। अति सूक्ष्म आकार, बेजोड़ मजबूती और टिकाऊपन के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिसिन, आटो, बायोसाइंस, पेट्रोलियम, फॉरेंसिक सहित लगभग सभी क्षेत्रों में नैनो टेक्नोलाजी से बड़े बदलाव हो रहे हैं। यह बातें नैनो तकनीक विषय पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय द्वारा आयोजित विशेष व्याख्यान में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद की प्रो. कृष्णा मिश्रा ने कहीं। विश्वविद्यालय के 36वें दीक्षा समारोह अंतर्गत आयोजित इस व्याख्यान में प्रो. कृष्णा ने विस्तार से नैनो कहा कि आने वाला समय नैनो टेक्नोलॉजी का होगा। इससे ऐसी सूक्ष्म दवा बनाई जा सकेगी, जो कैंसर की करोड़ों कोशिकाओं में से किसी एक को पहचान कर उसका अलग से इलाज कर सकेगी।
प्रो. मिश्रा ने क्रियात्मक पदार्थो के बारे में बोलते हुए कहा कि यह अतिसूक्ष्म पदार्थ परिस्थितियों के अनुसार अपनी संरचना तथा उपयोग बदलने में माहिर होते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विजय कृष्ण सिंह ने कहा कि नैनो तकनीक 21वीं सदी का वरदान है। जैसे गणित में शंकु के शिखर बिंदु को ब्रह्मंड का केंद्र माना जाता है वैसे ही इस सदी में नैनो तकनीक मानव जीवन का केंद्र बिंदु होगी। इससे पहले अतिथि स्वागत करते हुए विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. एसके सेनगुप्ता ने कहा कि आज नैनो पदार्थ और नैनो तकनीक की पहुंच जीवनोपयोगी समस्त वैज्ञानिक तकनीक तक हो चुकी है और इसका बहुत ही चमत्कारी उपयोग देखने में आ रहा है।