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गजवा-ए-हिंद की तैयारी में था मुर्तजा, खड़ा करना चाहता था ISIS का नेटवर्क; पढ़ाई के दौरान पकड़ी थी आतंक की राह

Gorakhnath temple attack गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात पीएसी के जवानों पर हमला करने के मामले में NIA/ATS की विशेष अदालत ने अभियुक्त अहमद मुर्तजा अब्बासी को लोन वुल्फ आतंकी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaPublished: Tue, 31 Jan 2023 08:20 AM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2023 08:20 AM (IST)
गजवा-ए-हिंद की तैयारी में था मुर्तजा, खड़ा करना चाहता था ISIS का नेटवर्क; पढ़ाई के दौरान पकड़ी थी आतंक की राह
गोरखनाथ मंदिर हमले में अहमद मुर्तजा अब्बासी को फांसी की सजा । जागरण

जागरण संवाददाता, गोरखपुर : देश के विरु़द्ध युद्ध छेड़ने की साजिश में लगा अहमद मुर्तजा अब्बासी उत्तर भारत में वह ISIS (इस्लामिक स्टेट आफ इराक एंड सीरिया) को खड़ा कर रहा था। सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए वह डार्क वेब (ऐसा इंटरनेट जिसे सामान्य सर्च इंजन पर सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता) का इस्तेमाल कर रहा था।

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तीन अप्रैल, 2022 को गिरफ्तारी के बाद देश के विरुद्ध उसकी साजिश की परतें उधड़ीं तो उसके खतरनाक मंसूबे जान लोगों के होश उड़ गए। पता चला कि वह गजवा-ए-हिंद की विचारधारा से प्रभावित था। पूछताछ व जांच में मिले साक्ष्य को एटीएस व एनआइए की टीम ने पूरी मजबूती से न्यायालय में पेश किया। कैंट क्षेत्र के सिविल लाइंस का मुर्तजा अहमद अब्बासी परिवार के साथ मुंबई में रहता था। दो वर्ष पहले नौकरी छोड़कर वह परिवार के साथ गोरखपुर लौटा और देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ा दिया।

खुफिया एजेंसियों के जानकारी देने पर यूपी एटीएस ने निगरानी शुरू की तो शक होने पर वह दो अप्रैल, 2022 की रात में घर छोड़कर सिद्धार्थनगर जिले के अलीगढ़वा चला गया। वहां से सीमा पार करके नेपाल के एक मदरसे में जा पहुंचा। सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों की नजर में आ चुके मुर्तजा को नेपाल में शरण नहीं मिली, तो दहशत फैलाने के इरादे से फिर अलीगढ़वा लौटा। रात गुजारने के बाद तीन अप्रैल, 2022 की शाम को एक दुकान से दो दाव (घटना में इस्तेमाल धारदार हथियार) खरीदा।

गोरखनाथ मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से पहले गाड़ी से उतर गया। योजना के अनुसार सुरक्षाकर्मी गोपाल गौड़ और अनिल पासवान पर हमला कर किया। धार्मिक नारे लगाते हुए वह मंदिर गेट के अंदर घुस गया। साइकिल स्टैंड गेट के सामने पुलिसकर्मियों ने उसे दबोच लिया। उसके पास से मिले मोबाइल फोन, लैपटाप की जांच में एटीएस को पता चला था कि वह लंबे समय से ISIS के संपर्क में था और उसी के इशारे पर देश में दहशत फैलाने की तैयारी कर रहा था। जांच एजेंसियों का मानना था कि मुर्तजा भारत में इस्लाम को स्थापित करने के लिए युद्ध और अभियान चलाकर ‘गजवा-ए-हिंद’ वाली विचारधारा से प्रभावित था।

सार्थक संदेश है आतंकी मुर्तजा को फांसी की सजा

गोरखनाथ मंदिर में हमला करने वाले आतंकी अहमद मुर्तजा को फांसी की सजा सुनाए जाने के पीछे पुलिस की प्रभावी पैरवी भी एक बड़ा कारण है। डीजीपी डा. डीएस चौहान का कहना है कि इस प्रकरण की एटीएस व अन्य जांच एजेंसियों ने मिलकर बड़ी गहनता से जांच की थी। आरोपित मुर्तजा के आतंकी संगठन आइएस के सीधे संपर्क में होने के साथ ही उसके टेरर फंडिंग में माहिर होने के प्रमाण मिले थे।

आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद पुलिस ने अभियोजन के सहयोग से लगातार प्रभावी पैरवी की। इसका सुखद परिणाम है कि 60 दिन के भीतर फांसी की सजा सुनाई गई। यह दर्शाता है कि यूपी पुलिस व उत्तर प्रदेश की जो न्याय व्यवस्था है, उसमें अच्छा सुधार हुआ है। यह लोगों को सकारात्मक संदेश देता है। ऐसे लोग जो देश की अखंडता, एकता व सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ना चाहते हैं, उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होती है। जो नागरिक कानून में विश्वास रखते हैं, इससे उनकी कानून के प्रति आस्था और बढ़ती है।

पढ़ाई के दौरान पकड़ी आतंक की राह

मुर्तजा अब्बासी ने पढ़ाई के दौरान ही आतंक की राह पकड़ ली थी। मुर्तजा सिविल लाइंस स्थित अपने घर पर ही एयरगन से गोली चलाने का अभ्यास करता था। एटीएस को उसके घर से चार एयरगन मिली थीं, जिन्हें उसने आनलाइन खरीदा था। जांच एजेंसियों का मानना था कि मुंबई में बीटेक करने के दौरान ही वह आइएसआइएस के संपर्क में आ गया था। उसने नर्सरी की पढ़ाई गोरखपुर में की थी। उसके बाद परिवार के साथ मुंबई चला गया।

पिता मुनीर का नवी मुंबई में फ्लैट है। नवी मुंबई के डीएवी पब्लिक स्कूल से मुर्तजा ने हाईस्कूल और इंटर की पढ़ाई पूरी की। इंटर के बाद उसका आइआइटी बाम्बे में उसका दाखिला हो गया। 2015 में आइआइटी पास करने के बाद उसने प्राइवेट फर्म में 10 माह तक नौकरी की। वह यमन-अमेरिकी इमाम अनवर अल अलाकी को अपना प्रेरक मानता था। इस्लामिक अवेकिंग फोरम पर मुर्तजा कट्टर बातें सुनता था और उनसे सवाल पूछता था। जामनगर की आयल कंपनी में 2017 से अक्टूबर 2020 तक काम किया। उसके बाद नौकरी छोड़कर चला आया।

जांच में सामने आईं ये बातें

  • 29 डालर का इंटरनेशनल सिम खरीदा था, जिससे फेसबुक व टेलीग्राफ पर अकाउंट बनाया था।
  • सीरिया, अरब क्रांति और आइएसआइएस से संबंधित वीडियो देखा करता था।
  • पढ़ाई के दौरान ही उसने 2012 से 2015 के बीच नेपाली खातों के माध्यम से खाड़ी देश में रुपये भेजे।
  • वर्ष 2020-21 में भी नेपाली खातों से करीब आठ लाख रुपये खाड़ी देश भेजे।
  • 2015-16 में एक कंपनी के साथ काम किया। तबीयत खराब हुई तो नौकरी छोड़ दी।
  • 2017 में इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखने लगा।

अद्दीनुल खालिस ग्रुप को करता था फालो

ट्विटर अकाउंट पर अहमद मुर्तजा अब्बासी के फालोवर और फालोइंग की लिस्ट सीमित थी। वह सीरिया के कैंप में रखे शरणार्थियों के लिए बने अकाउंट व अद्दीनुल खालिस ग्रुप चैनल को फालो करता था। ट्विटर पर उसके चार फालोवर व 11 फालोइंग थे।

पेपल से भेजता था रुपये

मुर्तजा विदेशी खाते में रुपये पेपल के जरिये भेजता था। पेपल एक विश्व-स्तरीय डिजिटल भुगतान का सिस्टम है, जो दुनियाभर में रुपये भेजने और मंगवाने की सुविधा देता है। पेपल के जरिये रुपये भेजने के लिए नाम, पता, मोबाइल नंबर आिद की जानकारी शेयर करने की जरूरत नहीं पड़ती है।


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