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Chhath Vrat: जानें, छठ व्रत की क्‍या है कथा और लोक मान्‍यता Gorakhpur News

एक लोक मान्यता के अनुसार भगवान शिव के तेज से उत्पन्न बालक स्कंद को छह कृतिकाओं ने अपना स्तनपान कराकर उसकी रक्षा की थी। उस समय स्कंद के छह मुख हो गए थे। कृतिकाओं द्वारा उन्हें दुग्धपान कराया गया था इसलिए वह कार्तिकेय कहलाए।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 03:19 PM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 04:36 PM (IST)
Chhath Vrat: जानें, छठ व्रत की क्‍या है कथा और लोक मान्‍यता  Gorakhpur News
छठ व्रत कथा के संबंध में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। सूर्यषष्ठी व्रत (छठ पर्व) अनेक पौराणिक व लोक कथाओं से गुथा हुआ है। सभी कथाएं इस व्रत के महत्व पर प्रकाश डालती हैं।

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पहली कथा

पांडव राज्यविहीन होकर जंगल में भटक रहे थे, पांडवों की स्थिति से दुखी द्रौपदी ने जुए में खोए राज्य की प्राप्ति, सुख-समृद्धि एवं शांति की कामना लेकर कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य की उपासना की थी। उनकी अपार श्रद्धा-भक्ति से प्रभावित होकर सूर्य ने उन्हें मनोवांछित फल प्रदान किया, जिससे पांडवों ने अपना खोया राज्य प्राप्त किया।

दूसरी कथा

शर्याति नामक राजा की कन्या सुकन्या जंगल में खेलते हुए च्यवन ऋषि की आंखों को अज्ञानतावश भेद दी थी। ऋषि की दोनों आंखें फूट गईं। राजा ने अपनी कन्या का विवाह अंधे च्यवन ऋषि के साथ कर दिया। सुकन्या ने भी पूर्ण श्रद्धा के साथ इस व्रत को किया, जिसके प्रभाव से च्यवन ऋषि की आंखों की ज्योति वापस आ गई।

तीसरी कथा

मगध सम्राट जरासंध के किसी पूर्वज को कुष्ठ रोग हो गया। शाकलद्विपीय ब्राह्मणों ने सूर्योपासना के द्वारा उनके कुष्ठ रोग को दूर किया था।

चतुर्थ कथा

राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं थी। महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। पुत्र तो हुआ लेकिन मृतावस्था में। पुत्र वियोग में राजा ने प्राण त्यागने का यत्न किया। उसी समय मणियुक्त विमान पर एक देवी वहां आ पहुंचीं। राजा ने देवी को प्रणाम किया और उनका परिचय पूछा। देवी ने कहा कि वह ब्रह्मा की मानस कन्या देवसेना हैं। मूल प्रकृति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण वह षष्ठी कहलाती हैं। वह संतानहीन को संतान, निर्धन को धन, रोगी को आरोग्य और कर्मवान को उसके श्रेष्ठ कर्मों का फल प्रदान करती हैं। राजा प्रियव्रत ने उस देवी का पूजन किया और उनका मृत पुत्र जीवित हो गया। यह पूजा कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को की गई थी। माना जाता है कि तभी से यह व्रत प्रचलन में आया।

लोक मान्यता

एक लोक मान्यता के अनुसार भगवान शिव के तेज से उत्पन्न बालक स्कंद को छह कृतिकाओं ने अपना स्तनपान कराकर उसकी रक्षा की थी। उस समय स्कंद के छह मुख हो गए थे। कृतिकाओं द्वारा उन्हें दुग्धपान कराया गया था, इसलिए वह कार्तिकेय कहलाए। लोक मान्यता यह भी है कि यह घटना जिस मास में घटी थी, उस मास का नाम कार्तिक पड़ गया। अतएव छठ मइया की पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को की जाती है। 


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