जानें, 29 वर्ष बाद कैसे जिंदा हो गई 88 वर्ष की यह महिला Gorakhpur News
अभिलेखों में मृत महिला 29 साल बाद जिंदा हो गई। लंबे संघर्ष में बाद उसे जीवित घोषित किया गया और उसे जिंदा होने का प्रमाणपत्र दिया गया ।
गोरखपुर, अतुल मिश्र। वह जिंदा हो गई। उम्र के अंतिम पड़ाव में वह फिर से जिंदा हो गई। 29 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद वह इस दुनिया में फिर से लौट आई। इन 29 वर्षों में वह कई बार मरी, लेकिन उसकी मेहनत रंग लाई और सरकारी अभिलेखाें में महिला जिंदा हो गई। मामला संतकबीर नगर जिले के मेहदावल का है।
29 वर्षों में बदल गई पूरी दुनिया
डीपीआरओ आलोक कुमार प्रियदर्शी के आदेश पर एडीओ पंचायत रविंद्र सिंह व सेक्रेटरी देवप्रताप सिंह ने सूका को जिंदा होने का प्रमाण पत्र परिवार रजिस्टर के नकल के रूप में दिया तो सूका ने खुशी का इजहार करते हुए इसे न्याय की जीत बताया।
इससे पूर्व डीपीआरओ के आदेश पर सेक्रेटरी ने ग्रामीणों से बयान लिया जिसमें सूका के जिंदा होने की बात कही गई। पूर्व में पुलिस विवेचना में भी सूका के जिंदा होने की पुष्टि हुई थी। महिला अब उम्र के अंतिम पड़ाव पर है। आंख में चश्मा लग गया है उसके बाद भी तस्वीरें धुंधली ही दिखाई देती है। कान भी लगभग जवाब दे गए है और पैर काम करना बंद किया तो लाठी को सहारा बना लिया।
घर के हवन बेदिका में दुर्गाष्टमी के दिन आत्मदाह करने की दी थी चेतावनी
सूका ने सोमवार को मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर न्याय नहीं मिलने पर अपने घर के हवन बेदिका में आत्मदाह करने की खुली चेतावनी दिया था। पत्र भेजे जाने की सूचना पर ब्लाक अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए। इस मामले के पटाक्षेप के लिए उच्चाधिकारियों से सम्पर्क करके कार्रवाई किए जाने की चर्चा तेज हो रही थी। उक्त क्रम में आनन फानन में सूका को प्रमाणपत्र दे दिया गया।
यह है मामला
बेलहर कला निवसिनी सूका पत्नी स्वर्गीय देवता ने तीन माह पूर्व जिलाधिकारी को पत्र भेजकर खुद के जिंदा होने का हवाला देते हुए यह आरोप लगाया था की विरोधियों के द्वारा उनको अभिलेखों में मृतक दिखाकर उनकी जमीन हड़प लिया गया। डीएम ने उक्त मामले में डीपीआरओ को खुली बैठक करके निस्तारण कराने का निर्देश दिया था। बैठक शुरु होने के पहले ही मामला न्यायालय में विचाराधीन होने की जानकारी होने पर डीपीआरओ ने बैठक निरस्त कर दिया। बैठक निरस्त होने की सूचना पर ग्रामीणों ने एडीओ पंचायत रविंद्र सिंह को बंधक बना लिया। सीओ व एसडीएम ने ग्रामीणों को समझाया तब जाकर मामला शांत हुआ। उक्त मामले में सूका ने शासन को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग किया था। शासन के निर्देश पर पुलिस जांच बैठाई गई जिसमें सूका के जिंदा होने के सबूत मिले थे।
यहां जिंदा वहां मुर्दा थी सूका
सूका देवी के नाम से मतदाता पहचान पत्र था वो वोट भी डालने जाती थी। मेंहदावल के पंजाब नेशनल बैंक में सूका का खाता था जिससे वो लेनदेन भी करती थी। यहां तक कि उनके नाम से आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज थे लेकिन परिवार रजिस्टर में उनको 29 वर्ष पूर्व मृतक दिखाकर उनकी जमीन हड़प ली गई थी। इस चौकानें वाले मामले में सूका को शासन ने बड़ी उम्मीद दी जब डीएम को कार्रवाई करने का निर्देश शासन ने दिया। अब सूका जमीन व कागज दोनों में जिंदा हो चुकी है।
सूका को दिया गया जिंदा होने का प्रमाणपत्र
ग्राम पंचायत अधिकारी देव प्रताप सिंह ने बताया कि उच्चाधिकारियों से मिले निर्देश के क्रम में एवं ग्रामीणों से लिये गए बयान के आधार पर सूका जिंदा मिली। उक्त प्रक्रिया के क्रम में सूका को परिवार रजिस्टर में जीवित दर्ज करते हुए उनको प्रमाणपत्र दिया गया।