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विश्‍व हिंदी दिवस : संवाद से होता है भाषा का विकास

साहित्यकार व विश्व भोजपुरी सम्मेलन के अंतरराष्ट्रीय महासचिव डा. अरुणेश नीरन ने देवरिया में कहा कि संसार भर में चार भाषा का सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। उसमें फ्रेंच स्पेनिश अंग्रेजी और हिंदी शामिल हैं। हिंदी का इतिहास डेढ़ सौ साल पुराना है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Tue, 11 Jan 2022 07:05 AM (IST)Updated: Tue, 11 Jan 2022 07:05 AM (IST)
विश्‍व हिंदी दिवस : संवाद से होता है भाषा का विकास
नागरी प्रचारिणी में पुस्तक का विमोचन करते अतिथि। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। साहित्यकार व विश्व भोजपुरी सम्मेलन के अंतरराष्ट्रीय महासचिव डा. अरुणेश नीरन ने देवरिया में कहा कि संसार भर में चार भाषा का सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। उसमें फ्रेंच, स्पेनिश, अंग्रेजी और हिंदी शामिल हैं। हिंदी का इतिहास डेढ़ सौ साल पुराना है। यह राष्ट्र भाषा भले न हो, विश्व भाषा जरुर है। हिंदी की यह प्रगति इसलिए है कि इसकी बोलियों का इतिहास एक हजार साल से भी अधिक का है। अपने लोक भाषाओं के साथ हिंदी उत्तर से दक्षिण की ओर गई और देश से बाहर विदेश तक गई है। भाषा का विकास संवाद से होता है। संवाद कटुता से नहीं, प्रेम से उत्पन्न होता है।

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व्‍यापारिक विस्‍फोट होने के साथ बढ़ा हिंदी का प्रयोग

डा. नीरन 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर नागरी प्रचारिणी सभा में तत्वावधान में आयोजित विमर्श संवाद एवं पुस्तक विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। कहा कि जबसे व्यापारिक विस्फोट हुआ है, हिंदी का प्रयोग बढ़ गया है। जिसे अपने सामान को बेचना होगा, उसे हिंदी पढ़नी होगी। हिंदी विश्व की भाषा है।

हिंदी भाषा ही नहीं ज्ञान की परंपरा है

दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य डा. अनंत मिश्र ने कहा कि हिंदी केवल भाषा ही नहीं, यह ज्ञान की परपंरा है, बोध की परंपरा है, शून्य की परंपरा है। यह मनुष्य को मानव से महामानव बनाने की परंपरा है। हिंदी आध्यात्मिक शक्ति संपन्न भाषा है। नागरी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष परमेश्वर जोशी ने कहा कि आज जो हिंदी का प्रकाश सर्वत्र फैल रहा है, उसमें किसी संस्था या राष्ट्र का कोई विशेष योगदान नहीं है, यह हिंदी भी अपनी वैज्ञानिकता और सरलता की देन है। आज हिंदी राष्ट्र स्तर पर संवाद की भाषा बनी हुई है।

पुस्‍तक का हुआ विमोचन

इस दौरान दीनानाथ पांडेय राजकीय महिला पीजी कालेज के पूर्व प्राचार्य इतिहासकार डा.दिवाकर प्रसाद तिवारी की पुस्तक राजशेखर का इतिहास बोध का विमोचन किया गया। डा. तिवारी ने कहा कि इस छोटी सी पुस्तक लिखने में मुझे ज्यादे समय लगा। राजशेखर पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने अपने कुल परिवार के बारे में लिखा। यह नई शताब्दी की एक बड़ी क्रांति थी,राजशेखर के भीतर एक पूरी परंपरा दिखाई देती, आधुनिक जीवन मूल्यों को महत्व देने वाले व्यक्ति थे। इस दौरान दयाशंकर कुशवाहा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया। संचालन मंत्री इंद्र कुमार दीक्षित ने किया। इस अवसर पर वृद्धिचंद्र विश्वकर्मा, डा.सौरभ श्रीवास्तव, गोपाल कृष्ण सिंह रामू, सरोज कुमार पांडेय, दुर्गा पांडेय, श्वेता मणि त्रिपाठी, धर्मदेव सिंह आतुर, भृगुनाथ प्रसाद, चंक्रपाणी ओझा, सर्वेश्वर, विनोद पांडेय, सौदागर सिंह आदि मौजूद रहे।

भारतमाता के माथे की बिंदी है हिंदी

आचार्य व्यास मिश्र स्मृति देवरिया महोत्सव समिति की तरफ से शहर के चटनी गड़ही स्थित कार्यालय पर सोमवार को विश्व हिंदी दिवस मनाया गया। समिति अध्यक्ष पवन कुमार मिश्र ने कहा कि हिंदी भारतमाता के माथे की बिंदी है। भारत ही नहीं, दुनिया भर में हिंदी को चाहने वाले मिल जाएंगे। लेखक व कवि जयनाथ मणि ने कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा है। इसके प्रचार-प्रसार व संरक्षण की जिम्मेदारी हम सभी भारतवासियों की है। कवि जयनाथ मणि को सम्मानित किया गया। इस मौके पर सीमा जायसवाल,रमाशंकर तिवारी, हरीश त्रिपाठी, उमाकांत पांडेय, रितेश शर्मा, नसीम मंसूरी, एजाज अहमद आदि उपस्थित रहे।


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