गोरखपुर में आइएएस-पीसीएस कोचिंग भवन सहित कई मैरेज हाल भी बनेंगे कोविड अस्पताल Gorakhpur News
अधिकारियों ने सीएम को जानकारी दी कि इसके लिए बेतियाहाता में आइएएस पीसीएस कोचिंग के लिए बना भवन उपयुक्त रहेगा। इस भवन में पर्याप्त जगह है। इसके साथ ही सहारा एस्टेट स्थित क्लब में चार बड़े-बड़े हाल में भी अस्पताल संचालित किया जा सकता है।
गोरखपुर, जेएनएन। मुख्यमंत्री के निर्देश पर गोरखपुर में कोविड अस्पतालों की संख्या बढ़ाकर कोरोना संक्रमितों को राहत देने की कोशिश जारी है। गोरखपुर दौरे के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि ऐसे स्थान चिन्हित किए जाएं, जहां 250 बेड के अस्पताल स्थापित हो सकें। अधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी कि इसके लिए बेतियाहाता में आइएएस, पीसीएस कोचिंग के लिए बना भवन उपयुक्त रहेगा। इस भवन में पर्याप्त जगह है। इसके साथ ही सहारा एस्टेट स्थित क्लब में चार बड़े-बड़े हाल में भी अस्पताल संचालित किया जा सकता है। जिला प्रशासन कुछ बड़े मैरेज हाल के बारे में भी जानकारी जुटा रहा है।
स्पोर्ट्स कालेज में बनेगा 100 बेड का कोरोना अस्पताल
स्पोर्ट्स कालेज में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की ओर से 100 बेड का अस्पताल संचालित करने की योजना है। इसके साथ ही कुछ कंपनियों की ओर से भी उपकरणों की व्यवस्था करने को कहा गया है। बड़हलगंज के राजकीय होम्योपैथिक कालेज को भी कोरोना अस्पताल के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है। यहां 100 आइसोलेशन बेड जबकि 75 वेंटीलेटर बेड होंगे। बीआरडी मेडिकल कालेज में भी मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद 50 वेंटीलेटर बेड लगाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने और स्थानों को भी चिन्हित करने को कहा है। जिसके बाद जिला प्रशासन ने सक्रियता बढ़ा दी है। दो स्थान तो चिन्हित किए जा चुके हैं, इसके साथ ही अन्य स्थानों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। कई बड़े मैरेज हाल को भी चिन्हित किया जा सकता है। वहां भी सुविधा देकर अस्पताल का संचालन कराने की योजना है। जिला प्रशासन की ओर से बताया गया कि आक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाई जा रही है। बड़हलगंज के अस्पताल में भी पाइप लाइन बिछाने का काम जारी है। तकनीकी टीम इस काम में लगी है।
कांटैक्ट ट्रेसिंग को बेहतर बनाने पर जोर
इंटीग्रेटेड कोविड कमांड कंट्रोल रूम के निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री को बताया गया कि कांटैक्ट ट्रेसिंग को लगातार बेहतर बनाया जा रहा है। कंट्रोल रूम से होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को फोन कर उनके संपर्क में आए लोगों के बारे में जानकारी ली जाती है। उनके घर रैपिड रिस्पांस टीम भी पहुंच रही है और मेडिकल किट वितरित कराया जा रहा है। कांटेक्ट ट्रेसिंग में चिन्हित लोगों की जांच प्राथमिकता पर कराई जाती है।