Move to Jagran APP

Kharmas 2021: इस दिन से शुरू होगा खरमास, इसें वर्जित रहते हैं यह कार्य

Kharmas 2021 भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रहों के स्वामी सूर्य जब-जब देवताओं के गुरु बृहस्पति की राशि धनु और मीन में गोचर करते हैं तब- तब खरमास होता है। इसमें भी कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 09:30 AM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 07:48 AM (IST)
Kharmas 2021: इस दिन से शुरू होगा खरमास, इसें वर्जित रहते हैं यह कार्य
Kharmas 2021: 16 दिसंबर से खरमास शुरू हो रहा है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। Kharmas 2021: 16 दिसंबर को दिन में एक बजकर एक मिनट पर सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास शुरू हो जाएगा जो मकर संक्रांति 14 जनवरी 2022 को खत्म होगा। इस दिन रात 8.49 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस एक माह के दौरान मांगलिक कार्य बंद रहेंगे।

loksabha election banner

खरमास में पूजा-पाठ का विशेष महत्व

पं. शरदचंद्र मिश्र ने बताया कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रहों के स्वामी सूर्य जब-जब देवताओं के गुरु बृहस्पति की राशि धनु और मीन में गोचर करते हैं, तब- तब खरमास होता है। इसमें भी कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। हालांकि खरमास में पूजा-पाठ और पुण्य कार्य जैसे दान इत्यादि धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास में धार्मिक कार्य और पुण्य करने से समस्त कठिनाइयां समाप्त होती हैं और सुख- शांति की वृद्धि होती है। वर्ष में खरमास दो बार लगता है।

जानें, कब लगता है खरमास

सूर्य जब धनु और मीन राशि में आते हैं तभी खरमास लगता है। सूर्य किसी भी राशि पर एक महीने के लिए रहते हैं । इस महीने में सूर्य बिल्कुल ही निस्तेज हो जाते हैं। अगहन और पौष महीने के संधिकाल में धनु का सूर्य प्रारम्भ होता है। धनु राशि में प्रवेश के समय बृहस्पति का भी तेज कमजोर हो जाता है और गुरु के स्वभाव में उग्रता आ जाती है। सूर्य जब भी बृहस्पति की राशि में जाता है तो वह प्राणिमात्र के लिए उत्तम नहीं रहता है। किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए त्रिबल की आवश्यकता होती है।

इस दशा में क‍िए जाते हैं शुभ कार्य

त्रिबल अर्थात सूर्य, चंद्रमा व बृहस्पति का बल। जब तीनों ग्रह उत्तम स्थिति में रहते हैं, तभी शुभ कार्य किए जाते हैं। इनमें से यदि कोई भी क्षीण या निस्तेज होता है, अस्त होता अथवा पीड़ित होता है तो शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। खरमास में दो ग्रहों का बल तो बना रहता है लेकिन एक ग्रह कमजोर हो जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार सूर्य अपने गुरु बृहस्पति की सेवा में संलग्न होने से तेजहीन हो जाता है । एक अन्य मान्यता के अनुसार सूर्य का जब बृहस्पति की राशि में प्रवेश होता है तो बृहस्पति प्रदूषित हो जाते हैं अर्थात सूर्य के तेज से निष्प्रभावी हो जाते हैं। इसलिए शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।

खरमास में क्या करे और क्या न करें

दो ग्रहो का बल होने से विवाह, वधू प्रवेश, वरच्छा, विदाई, यज्ञोपवीत, मुण्डन, गृहप्रवेश, गृहारम्भ, नये कार्यो का आरम्भ इत्यादि वर्जित कार्य है। इसके लिए त्रिबल की आवश्यकता है। परन्तु निम्न कार्य ग्राह्य है-जैसे पुंसवन, सीमन्तोयन, प्रसूतिस्नान, व्यापारमुहुर्त, धान्यछेदन, कर्णमर्दन, नृत्यवाद्यकलारम्भ, शस्त्रधारण, आवेदन पत्र लेखन, श्राद्ध कर्म, जातकर्म, नामकरण, अन्नप्राशन, भूमि क्रय-विक्रय, आभूषण निर्माण, सेवारंभ (नौकरी शुरू करना) वृक्षारोपण, शल्य चिकित्सा, मुकदमा दायर करना, बीजवपन इत्यादि।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.