Kartarpur Corridor : प्रकाशोत्सव मनाकर करतारपुर साहिब के लिए रवाना होगा जत्था Gorakhpur News
Kartarpur Corridor के लिए गोरखपुर से पहला जत्था 12 नवंबर को प्रकाशोत्सव मनाने के बाद रवाना होगा। इसके लिए 68 लोगों के पासपोर्ट बन गए हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। गुरु के दरबार करतारपुर साहिब में मत्था टेकने के लिए श्रद्धालु तैयार हैं। पहला जत्था 12 नवंबर को प्रकाशोत्सव मनाने के बाद रवाना होगा। करतारपुर कॉरीडोर होते हुए पाकिस्तान जाने के लिए 68 लोगों के पासपोर्ट बन गए हैं, जबकि कई कतार में हैं।
गुरु दरबार की आसान हुई राह से सिख समाज खुश है। दरअसल, इस पवित्र स्थल की राह बंटवारे के बाद कठिन हो गई थी। 10 साल पहले गए 50 श्रद्धालुओं के जत्थे में शामिल बलबीर सिंह बताते हैं कि तब वीजा व अन्य औपचारिकताएं जटिल थीं। श्रद्धालु बाघा बार्डर से जाते थे। अब करतारपुर कॉरीडोर खुलने से श्रद्धालु आसानी से गुरु दरबार में अरदास लगा सकेंगे।
श्रद्धालु बोले
करतारपुर साहिब जाने को लेकर सबमें उत्साह है। फिर मौका मिले न मिले, इसलिए इस बार सभी वहां जाना चाहते हैं। - जसपाल सिंह, प्रधान, गुरुद्वारा जटाशंकर
गुरु के दरबार में मत्था टेकने से ज्यादा जरूरी और क्या हो सकता है। हम तैयारी कर रहे हैं। एक माह बाद यहां से जत्था कूच करेगा। - कुलदीप सिंह अरोड़ा, महामंत्री, गुरुद्वारा जटाशंकर
करतार साहिब हमारे लिए परम पवित्र जगह है। समाज के अनेक लोग जाने को तैयार हैं। वहां मत्था टेक कर जीवन को सफल करेंगे। - केशवराज मृगवानी, सिंधी समाज
वह हमारे पिता का स्थान है। वहां जाकर कितनी खुशी मिलेगी, इसे बयां नहीं किया जा सकता। दस साल पहले मैं गया था, अद्भुत जगह है। - बलबीर सिंह, अध्यक्ष, पूर्वांचल सिख प्रतिनिधि बोर्ड
पहले सिर्फ आधार कार्ड जरूरी था, बाद में सूचना आई कि पासपोर्ट लगेगा। खैर जो भी नियम होगा, उसे पूरा कर गुरु दरबार में जाएंगे। - राजेंद्र सिंह, मैनेजर, गुरुद्वारा जटाशंकर
रजिस्ट्रेशन 10 दिन पहले कराना है। अभी पंजाब वालों की लाइन है। हम इसके बाद रजिस्ट्रेशन कराएंगे। कोशिश है कि एक माह में मौका मिल जाए। - जगनैन सिंह नीटू, सदस्य, उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी
भारत-पाकिस्तान सरकार ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिया। गुरु के दरबार जाना आसान हो गया है। वहां जाने को लेकर सब उत्साहित हैं। - चरनप्रीत सिंह
पहले जाने का मौका नहीं मिलता था। बार्डर पर दूरबीन से गुरुद्वारा देखकर चले आते थे। इस बार गुरु दरबार में मत्था टेक कर निहाल होंगे। - बलबिंदर सिंह