Kapilvastu Mahotsav: प्रेम, हास्य व वीर रस में डूबी महोत्सव की रात
Kapilvastu Mahotsav कपिलवस्तु महोत्सव की तीसरी रात कवि सम्मेलन के नाम रही। सोमवार रात करीब दस बजे जमी महफिल में वीर प्रेम और हास्य रस की गंगा बही जिसमें श्रोता डूबते और उतराते रहे। रात भर लोग कवि सम्मेलन का आनंद लेते रहे।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कपिलवस्तु महोत्सव की तीसरी रात कवि सम्मेलन के नाम रही। सोमवार रात करीब दस बजे जमी महफिल में वीर, प्रेम और हास्य रस की गंगा बही, जिसमें श्रोता डूबते और उतराते रहे। उर्दू के शायर ने भी अपने जुबां से इस बोली की मिठास घोलने का काम किया। महफिल इस कदर जमी कि रात करीब दो बजे तक श्रोता जमे रहे। बुजुर्ग, युवा, अधिकारी व कर्मचारी सभी वाह-वाह करने के लिए मजबूर हो गए, इनकी आवाज दूर-दूर तक गूंजती रही।
सरस्वती वंदना से हुई कवि सम्मेलन की शुरुआत
कवि सम्मेलन का आगाज कवियत्री अनामिका अंबर ने सरस्वती वंदना से किया। दुर्गा के 108 स्वरूप को अपने गीतों की माला में पिरोया। पूरा पंडाल भक्तिमय हो उठा। इसके बाद लखनऊ से आए वीर रस के युवा कवि प्रख्यात मिश्रा ने छातियों पर गोली खाने वालों को नहीं भूलना, सुनाकर सभी को कारगिल युद्ध का स्मरण कराया। माहौल को देशप्रेम से ओत-प्रोत करते हुए बलिदानियों के परिवार के मनोयोग को दर्शाते हुए अपनी कविता-पीढ़ी की सीढ़ियों पर चढ़ता रहा सदैव को सुनाया।
पुलवामा कांड पर सुनाई कविता
पुलवामा कांड पर आधारित रचना-राह देखती रही, शाम ढलती रही लेकिन भाई नहीं आया व न आस बची थी और न तो सांस बची थी मां, से माता-बहन के मर्म को बताया। बालीवुड के हास्य कलाकार राजन श्रीवास्तव ने अपने चुटीले अंदाज से माहौल को हल्का किया। मथुरा से आए मनवीर मधुर ने बबा्रदी से जंग लड़ी है, तब आबाद हुए हैं हम, सुना कर देश की आजादी की कीमत को बताया। विफल शास्त्र के होने पर शस्त्र उठाना पड़ता है, से गीता के सार को बताया। जहां वाले इसी तेवर को हिंदुस्तां कहते हैं, से चीन पर तंज कसा।
कविता के माध्यम से की सैनिकों की हौसला आफजाई
कविता के माध्यम से सैनिक व पुलिस जवानों का हौसलाआफजाई किया। प्रेम रस में डूबी जीवन में प्यार करो तो इतना करो कि होठ चुप रहे और सका पानी बोलने लगे, को भी सुनाया। कानपुर के हास्य कवि विकास भौकल ने एंटी रोमियो को भेज देंगे योगी तो सानिया के देवर कुआंरे रह जाएंगे, से पाकिस्तान पर तंज कसा। सौहार्द का संदेश देते हुए अपने स्वाभाविक चुटीले अंदाज में-किसी खंजर से न तलवार से जोड़ा जाए, सारी दुनिया को प्यार से जोड़ा जाए, से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया।
अनामिका अंबर ने सुनाई कविता
अनामिका अंबर ने एक के बाद एक करके, कभी दरिया के भीतर भी समंदर जाग उठता है... मेरे अंदाज को अपना अलग अंदाज दे देना... जो दिल में है वहीं कहने की हिम्मत क्यों नहीं करते, नहीं मंजूर मंजर बगावत क्यूं नहीं करते... ये दरिया ही नहीं लेकिन समंदर चाहिए... जो कानों तक नहीं पहुंचे वहीं अल्फाज मत होना... बहुत मंदी है दीवाने यह कारोबार महंगा है, तेरी सस्ती है कोशिश और मेरा इन्कार महंगा है... देशभक्ति पर आधारित, बिखर के शौर्य की खुशबू चमन को चूम लेती है... चाराें तरफ फैला उजाला पर अंंधेरी रात थी, जब हुआ वह शहीद उन दिनों की बात थी को सुना माहौल को राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कर दिया।
विष्णु सक्सेना ने सुनाए प्रेमगीत
डा. विष्णु सक्सेना ने लगातार, दिले बीमार सही, वह दवाएं दे दें... रोशनी बन कर अंधेरों को निगल जाओं तुम... कुछ पती ही नहीं है कि हम क्यूं बहक रहे हैं... आओ दोनों को जोड़ दें, तुम हमारी कसम तोड़ दो, हम तुम्हारी कसम तोड़ दें। संचालन कर रहे सुनील जोगी ने चाहत के समंदर में उतरने नहीं दूंगा मैं डूबके गलियों से गुजरने नहीं दूंगा को सुनाकर लोगों को गुदगुदाया। अध्यक्षता कर रहे वसीम बरेलवी ने कहा तूफां को मात दे आए, वहीं किनारों के हाथों हाथ दे आए से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम के अंत में सांसद जगदम्बिका पाल ने अपनी पत्नी स्नेह लता पाल और सदर विधायक श्याम धनी राही ने सभी कवियों को सम्मानित किया।