जज ने फैसला सुनाया तो आयकर विभाग ने थमा दी नोटिस, जानें- फिर क्या हुआ Gorakhpur News
आयकर विभाग ने विशेष न्यायाधीश (एससीएसटी) पवन कुमार तिवारी को भेजा गया नोटिस रद कर दिया।
गोरखपुर, जेएनएन। आयकर विभाग ने विशेष न्यायाधीश (एससीएसटी) पवन कुमार तिवारी को जो नोटिस भेजा था, उसे रद कर दिया। सहायक आयुक्त ने न्यायाधीश को अवगत कराया है कि यह गलती सब रजिस्ट्रार बांसगांव कार्यालय से अपलोड गलत डाटा के चलते हुई है। फिलहाल नोटिस की प्रोसिडिंग ठप कर दी गई है।
दैनिक जागरण ने उठाया था मुद्दा
सात साल पहले जमीन की रजिस्ट्री के मामले से वास्ता न होने के बावजूद नोटिस मिलने से आहत न्यायाधीश ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को जानकारी देते हुए संबंधित पर कार्रवाई की अपील कर दी। विभागीय कार्यप्रणाली की इस चूक को दैनिक जागरण ने 23 नवंबर के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
गलती से भेज दिया नोटिस
न्यायाधीश की आपत्ति पर सहायक आयुक्त ने जांच कराई तो पता चला कि बांसगांव के सब रजिस्ट्रार ने संबंधित जमीन की खरीद-फरोख्त का जो डाटा अपलोड कराया था, उसमें विक्रेता के नाम की जगह पवन कुमार तिवारी लघुवाद न्यायाधीश जबकि क्रेता वंदन सेवा संस्थान को दर्शाया था। इसी डाटा के आधार पर न्यायाधीश को नोटिस भेजा गया। सही तथ्यों की जानकारी के बाद विभाग ने नोटिस को गलत मानते हुए इसे रद कर दिया है।
यह है मामला
दरअसल, वंदना सेवा संस्थान की जानकी मिश्रा बनाम रामवृक्ष के मामले में न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी ने बतौर लघुवाद न्यायाधीश फैसला सुनाया था। उन्होंने लिपिक निर्भय कुमार मिश्र को वंदना सेवा संस्थान के पक्ष में रजिस्ट्री करने के लिए अधिकृत किया था। लिपिक निर्भय ने ही 30 मार्च 2012 को सब रजिस्ट्रार बांसगांव कार्यालय में रजिस्ट्री किया था। इसके बावजूद रजिस्ट्री कार्यालय ने विक्रेता की जगह न्यायाधीश लघुवाद पवन कुमार तिवारी का नाम दर्ज कर दिया, जिसकी वजह से आयकर ने उन्हें नोटिस जारी कर दिया।