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कपड़ा व्‍यवसाय : नई सोच से फुटपाथ से शोरूम तक का तय किया सफर

कृष्णा वस्त्र विभाग के प्रोपराइटर संजय कसौधन बताते हैं कि हाड़तोड़ मेहनत के बाद व्यापार को खड़ा किया था। कोरोना से बाजार ध्वस्त हो गया। देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा। उसके बाद नई चुनौतियां सामने आ गईं।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 12:30 AM (IST)
कपड़ा व्‍यवसाय : नई सोच से फुटपाथ से शोरूम तक का तय किया सफर
सिद्धार्थ नगर के कपड़ा व्‍यवसायी संजय कसौधन।

सिद्धार्थनगर, जेएनएन। कारोबार में सफलता के लिए आपके पास नई सोच होनी चाहिए। तकनीकी के साथ भी चलना होगा। नए जमाना के चलन को समझने की कला आनी चाहिए। ग्राहकों को परखने की खूबी होनी चाहिए। बेहतर करने के लिए प्रतिस्पर्धी से इतर कोई नए चलन को बाजार में उतारना होगा। डेढ़ दशक पूर्व फुटपाथ पर रेडिमेट कपड़े बेचने वाले संजय कसौधन ने इन्हीं सोच के बदौलत आज सफलता प्राप्त की है। छोटे से शहर में 1.25 करोड़ का सालाना व्यापार कर रहे हैं। 15 कामगारों को रोजगार भी दे रहे हैं। लाकडाउन के दौरान जब प्रतिष्ठान नहीं खुल रहा था तो इनकी जीविका की भी जिम्मेदारी उठाई। अब वह कोरोना संक्रमण काल में आई चुनौतियों का सामना करने के लिए नई योजनाओं को मूर्त रूप देने में लगे हैं। 

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कृष्णा वस्त्र विभाग के प्रोपराइटर संजय कसौधन बताते हैं कि हाड़तोड़ मेहनत के बाद व्यापार को खड़ा किया था। कोरोना से बाजार ध्वस्त हो गया। देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा। नई चुनौतियां सामने आ गईं। इसका असर उनके व्यवसाय पर भी पड़ा। कपड़े का व्यापार सीजन व फैशन पर आधारित है। इस संक्रमण काल में करीब 50 लाख रुपये के कपड़े का स्टाक डंप हो गया था। लाकडाउन के बाद व्यापार को दोबारा पटरी पर लाने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है। लाकडाउन के दौरान ग्राहकों से लगातार संवाद बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं। क्योंकि आनलाइन शापिंग ने शोरूम के व्यापार को झटका देने का काम किया है। अब डिजिटल व्यापार पर निर्भरता बढ़ गई।

ग्राहकों को सहेजना चुनौतीपूर्ण काम

लाकडाउन से पहले व्यापार का प्रतिमाह 25 से 30 लाख रुपये टर्नओवर था। तीन माह तक कोई व्यापार नहीं हुआ। यह टूटने के कगार पर पहुंच गया था। बैंक व बाजार में लेनदेन भी बंद हो गया। अनलाक के दूसरे चरण के बाद से व्यापार उठने लगा है। सितंबर में टर्नओवर दस से 15 लाख रुपये तक पहुंच गया है। इसके बेहतर होने की संभावना है। अनलाक के प्रथम चरण में बाजार के पास कई संक्रमित मिले। प्रशासन ने पूरे क्षेत्र को कंटेंमेंट एरिया घोषित कर दिया। रास्ता बंद होने के कारण ग्राहक नहीं आ रहे थे। स्वयं के साथ परिवार को भी सुरक्षित रखने की चुनौती थी। सामाजिक दायरा होने के कारण बाहर निकलना भी जरूरी था। इसे ध्यान में रखते हुए काम किया गया। बाजार खुलने के बाद भी ग्राहकों के मन में कोरोना का भय व्याप्त है। प्रतिष्ठान के कर्मचारी कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए ग्राहकों को जागरूक करते रहते हैं। शारीरिक दूरी के नियम का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता है। बिना मास्क आने वालों को प्रवेश निषेध है। ईंद व लग्न में होने वाली दुकानदारी भी कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ गई। ऐसे में स्थानीय ग्राहकों को सहेज कर रखना चुनौती भरा काम था। इनसे समन्वय स्थापित करने के लिए सामाजिक कार्य में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

लाकडाउन के दौरान लोगों के घरों तक भोजन भी पहुंचाया

लाकडाउन के दौरान लोगों के घर पर भोजन पहुंचाया। नई योजनाओं को ग्राहकों तक पहुंचाने व बिक्री के लिए गूगल और डिजिटल मार्केटिंग का सहयोग लेने की योजना है। इसके लिए कर्मचारियों को अपडेट किया जा रहा है। प्रशिक्षित करने के साथ जानकारियां दी जाएगी। वाट्सएप ग्रुप पर ग्राहकों को जोड़ा जाएगा। इस ग्रुप पर नई स्कीम व पेशकश बताया जाएगा। शोरूम बंद होने व खुलने के संबंध की भी सभी जानकारियां आनलाइन दी जाएगी। संजय बताते हैं कि तकनीक के सहारे ग्राहक को घर बैठे सुविधा देने की कोशिश की जा रही है। गूगल सर्च, फेसबुक व वाट््सएप के माध्यम से ग्राहक को जुटाया जाएगा। गूगल माय बिजिनेस में आउटलेट को लिस्टेड करने के लिए कवायद शुरू कर दी है। गूगल पेड मार्केङ्क्षटग का भी सहारा लिया जाएगा। ग्राहकों की मांग पर वैवाहिक व मांगलिक कार्यक्रम में पहने जाने वाले वस्त्रों की आनलाइन बुङ्क्षकग की सुविधा जल्द शुरू किया जाएगा। गूगल के प्लेटफार्म पर तस्वीरें और फेसबुक व वाट््सएप पर वीडियो डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसका एकमात्र कारण है कि अगर आप शोरूम में आते हैं तो आपको विश्वास हो कि आपकी सेवा में कोई कमी नहीं आएगी।


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