RMRC अध्ययन में असरदायक नहीं मिला जेई का टीका, गोरखपुर के 97 प्रतिशत बच्चों में जरूरत से कम मिली एंटीबॉडी
गोरखपुर के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र में प्रारंभिक जांच में जेई का टीका लगवाए बच्चों में जरूरत से कम एंटीबॉडी मिली है। जिले में 266 बच्चों पर अध्ययन किया गया। जिसमें 97 प्रतिशत बच्चों का सुरक्षा चक्र टूटा मिला।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर जिले में पूर्व में लगने वाला चीन से आया जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) का टीका असरदायक नहीं मिला है। क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) के प्रारंभिक अध्ययन में यह बात उजागर हुई है। 266 बच्चों ऐसे बच्चों को अध्ययन में शामिल किया गया, जिन्हें दो से लेकर 10 वर्ष पूर्व तक टीका लग चुका था। 97 प्रतिशत बच्चों में जेई के खिलाफ एंटीबाडी पर्याप्त नहीं पाई गई।
दो साल पहले लगाई जाती थी चीन की वैक्सीन
दो वर्ष पूर्व तक बच्चों को जेई से बचाव के लिए चीन की वैक्सीन एसए-14-14-2 लगाई जाती थी। इसके बाद भारत बायोटेक ने जेनवैक नामक वैक्सीन विकसित कर ली, अब यही टीका लगाया जाता है। दो वर्ष, चार वर्ष, छह वर्ष, आठ वर्ष व 10 वर्ष पूर्व टीका लगवाने वाले बच्चों के पांच ग्रुप बनाए गए थे। सभी ग्रुप में एंटीबाडी कम मिली। इसमें चरगांवा ब्लाक के पांच गांवों के बच्चे शामिल किए गए थे। अध्ययन में आरएमआरसी के वायरोलाजिस्ट डॉ. अशोक पांडेय व चेन्नई के एसआरएम यूनिवर्सिटी, चेन्नई के छात्र शामिल थे।
दो से तीन साल तक बननी चाहिए एंटीबॉडी
डॉ. अशोक पांडेय ने बताया कि अभी तक के अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि किसी भी वैक्सीन से शरीर में दो से तीन साल तक एंटीबाडी बननी चाहिए। लेकिन, इस अध्ययन में दो वर्ष पूर्व लगा टीका भी प्रांरभिक जांच में फीका मिला है। शीघ्र ही दूसरे चरण की जांच शुरू की जाएगी।
दो तरह की होती है एंटीबॉडी की जांच
एंटीबाडी की जांच दो तरह से की जाती है। एक तो शरीर में कितनी एंटीबाडी बनी है और कितने समय तक है। यह प्रांरभिक जांच मानी जाती है। इसे न्यूट्रलाइजेशन टेस्ट कहते हैं। इसके अलावा एक विशेष जांच होती है जिसे सेल मीडिएटेड टेस्ट कहते हैं। इस जांच में सेल के अंदर ऐसे अवयव पड़े रहते हैं जो जरूरत पर एंटीबाडी का निर्माण करते रहते हैं। यह जांच भी शीघ्र ही शुरू की जाएगी।
टाइटर में देखी जाती है एंटीबॉडी
डॉ. अशोक पांडेय ने बताया कि सामान्य व्यक्ति में किसी रोग की एंटीबाडी शून्य टाइटर होती है। टीका लगने के बाद यह 10 टाइटर होनी चाहिए, सुरक्षा चक्र के लिए यह जरूरी है। यदि 10 टाइटर से कम एंटीबाडी है तो माना जाता है कि वह संबंधित वायरस या बैक्टीरिया को मारने या निष्क्रिय करने में समर्थ नहीं है।