जन औषधि केंद्र : डॉक्टर नहीं लिख रहे जेनरिक, लगातार एक्सपायर हो रही दवाएं Gorakhpur News
ज्यादातर सरकारी डॉक्टर सस्ती (जेनरिक) दवाएं न लिखकर ब्रांड की दवाएं लिख रहे हैं जो मेडिकल स्टोरों पर ही मिलती हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। गरीबों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए जगह-जगह प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले गए। लेकिन सरकार की यह मंशा डॉक्टरों के चलते परवान नहीं चढ़ पाई। सस्ती दवा उपलब्ध कराने वाले जन औषधि केंद्रों की ही हस्ती मिटती दिख रही है।
महंगी दवाएं लिख रहे हैं चिकित्सक
ज्यादातर सरकारी डॉक्टर सस्ती (जेनरिक) दवाएं न लिखकर, ब्रांड की दवाएं लिख रहे हैं जो मेडिकल स्टोरों पर मिलती हैं। मरीज महंगे दामों पर बाजार से दवा खरीदने को मजबूर हो रहे हैं और जन औषधि केंद्रों की दवाएं लगातार एक्सपायर हो रही हैं।
36 में 21 केंद्र बंद
भारत सरकार की मंशा थी कि जन औषधि केंद्रों के माध्यम से सस्ती दवाएं गरीबों तक पहुंचें। इसके लिए जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल सहित अनेक जगहों पर जन औषधि केंद्र खोले गए। गोरखपुर जिले में कुल 36 केंद्र खुले जिसमें से 21 बंद हो चुके हैं। केवल 15 किसी तरह चल रहे हैं, वे भी बंद होने के कगार पर हैं।
एक्सपायर हुईं एक लाख की दवाएं
जिला अस्पताल स्थित जन औषधि केंद्र पर एक साल में एक लाख रुपये से ज्यादा की दवाएं एक्सपायर हो गईं, यदि जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने जन औषधि केंद्र की दवाएं लिखनी शुरू नहीं की तो फरवरी तक 60 हजार रुपये की दवाएं और एक्सपायर हो जाएंगी।
स्थानीय वितरक ने बंद किया काम
गोरखपुर में जन औषधि केंद्रों को दवाओं की आपूर्ति के लिए भारतीय जन औषधि परियोजना ने एक वितरक की व्यवस्था की थी। कुछ दिन काम करने के बाद वितरक ने जन औषधि का काम करना बंद कर दिया।
बाहर से मंगानी पड़ रही दवाएं
अब जन औषधि केंद्र संचालकों को लखनऊ, कानपुर, सुल्तानपुर से दवाएं मंगानी पड़ रही हैं। इसलिए जब ज्यादा दवाएं मंगानी होती हैं, तभी आर्डर भेजा जाता है। स्थानीय वितरक होने से यह फायदा था कि दो-चार हजार की दवाएं भी खरीदनी होती थी तो संचालक खरीद लाते थे।