नायब काजी ने कहा, बच्चों की तरबीयत व तालीम पर दें जोर Gorakhpur News
गोरखपुर में जलसा-ए-गौसुलवरा में नायब काजी मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने कहा कि इस्लाम बच्चों की तरबीयत (संस्कार) और तालीम (शिक्षा) पर सबसे ज्यादा जोर देता है। इसलिए बच्चों की शिक्षा और अपनी सेहत को सबसे ज्यादा तरजीह दीजिए।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। हजरत सैयदना शैख अब्दुल कादिर जीलानी की याद में मंगलवार को बसंतपुर में जलसा-ए-गौसुलवरा का आयोजन हुआ। वक्ताओं ने अब्दुल कादिर की जिदंगी पर रोशनी डालते हुए अल्लाह व उसके रसूल हजरत मोहम्मद साहब के बताए हुए रास्तों पर चलने की अपील की।
मां-बाप की खिदमत एवं उस्ताद की फरमाबरदारी का दिया पैगाम
मुख्य अतिथि नायब काजी मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने कहा कि इस्लाम बच्चों की तरबीयत (संस्कार) और तालीम (शिक्षा) पर सबसे ज्यादा जोर देता है। इसलिए बच्चों की शिक्षा और अपनी सेहत को सबसे ज्यादा तरजीह दीजिए। उन्होंने कहा कि जब किसी की उम्र 50 साल से ज्यादा हो जाती है कि उनसे रिश्तेदार, दोस्त और मिलने वालो सिर्फ दो सवाल पूछते हैं, पहला बच्चे क्या करते हैं और दूसरा सेहत कैसी है। उन्होंने कहा कि इस्लाम ने अमानतदारी, वादा पूरा करना, झूठ से बचने, दूसरे के हक का ख्याल, मां-बाप की खिदमत और उस्ताद की फरमाबरदारी का पैगाम दिया है। विशिष्ट अतिथि गौसिया जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी इस्लाम ने चौदह सौ सालों से अमन की बात की है।
शैख अब्दुल कादिर जीलानी की याद में जलसा-ए-गौसुलवरा
मक्का शरीफ जीतने के बाद पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद साहब ने सबको माफ कर यह संदेश भी दिया था। उन्होंने औरतों के हक के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि इस्लाम में औरतों का बहुत ऊंचा स्थान है। मां के रूप में उसे सम्मान प्रदान किया है। पत्नी, बेटी और बहन के रूप में उसे सम्मान दिया है। अध्यक्षता कारी मो. मोहसिन रजा बरकाती एवं संचालन हाफिज मो. आरिफ रजा ने किया। अंत में सलातो सलाम पढ़कर खैरो बरकत की दुआ मांगी गई। जलसे में महबूब आलम इदरीसी, मकसूद आलम, महमूद आलम, सरफराज आलम, मोहम्मद अहमद, दानिश, तनवीर, अल वहाब, इलियास, मास्टर तौफीक, मुफ्ती शमीम अहमद मंजरी आदि मौजूद रहे।