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उप निबंधक, दो लिपिक समेत आधा दर्जन को पुलिस ने भेजा जेल

देवरिया के चर्चित दीपक अपहरण कांड में जिला पंचायत अध्यक्ष का किया था सहयोग।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 May 2018 09:03 PM (IST)Updated: Sun, 06 May 2018 09:03 PM (IST)
उप निबंधक, दो लिपिक समेत आधा दर्जन को पुलिस ने भेजा जेल
उप निबंधक, दो लिपिक समेत आधा दर्जन को पुलिस ने भेजा जेल

गोरखपुर : देवरिया के चर्चित दीपक अपहरण कांड के मामले में कोतवाली पुलिस ने उप निबंधक तथा दो लिपिक, कार्यालय के कम्प्यूटर लिपिक समेत आधा दर्जन के खिलाफ 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया। कुछ और लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की पुलिस की तैयारी है। इनपर अपहरण कांड के मुख्य आरोपित जिला पंचायत अध्यक्ष राम प्रवेश यादव बबलू के कृत में सहयोग करने का आरोप है।

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देवरिया खास निवासी दीपक मणि का 20 मार्च को सलेमपुर से अपहरण दस करोड़ की जमीन हड़पने के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष रामप्रवेश यादव बबलू ने कराया और सवा महीने तक विभिन्न स्थानों पर रखा। देवरिया पुलिस ने दीपक को दो मई को मुक्त कराया और जिला पंचायत अध्यक्ष रामप्रवेश यादव समेत पांच के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चार आरोपितों को जेल भेज दिया। एसपी के नेतृत्व में मामले की जांच कर रही कोतवाली पुलिस को एक अहम साक्ष्य हाथ लगा, जिसमें यह पता चला कि इस पूरे मामले में सहयोग उप निबंधक कार्यालय के उप निबंधक अधिकारी समेत अन्य कर्मचारियों ने किया है। पुलिस अधीक्षक रोहन पी कनय ने पुलिस लाइन स्थित मनोरंजन गृह में पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि पूरा साक्ष्य मिलने के बाद उप निबंधक अधिकारी फूलचंद्र यादव निवासी अब्दोपुर थाना चिरैयाकोट जनपद मऊ, लिपिक रामशरण ¨सह अंसारी रोड, थाना कोतवाली, शोभनाथ राव निवासी राघव नगर चंदेल भवन, थाना कोतवाली, कार्यालय के कम्प्यूटर आपरेटर शोएब चिश्ती निवासी करैली थाना करैली, इलाहाबाद, लेखक कौशल किशोर निवासी रामगुलाम टोला, थाना कोतवाली देवरिया व विनोद तिवारी निवासी विशुनपुर, थाना भटनी के खिलाफ 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया है।

उप निबंधक के खिलाफ पुलिस को यह मिला साक्ष्य

दीपक मणि की जमीन पर एक दशक से अधिक समय से जनपद न्यायाधीश के न्यायालय से स्थगन आदेश है। स्थगन आदेश की कापी कार्यालय में भी गई है। इसके बाद भी उप निबंधन कार्यालय से दीपक मणि की जमीन का बैनामा किया गया।

दीपक मणि का अपहरण करने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष ने सबसे पहले अपने मुर्गा फार्म में उसे रखा। इसके बाद गोरखपुर के देवकनिया निवासी रमेश पासवान की मकान पर और फिर बस्ती ले जाकर कुछ दिनों तक रखे। इसके बाद उसे देवरिया लेकर चले आए, जहां से दीपक मणि बरामद हुआ। खास बात यह है कि दीपक मणि के कपड़े पर कई जगह खून के धब्बे दिखे, लेकिन उप निबंधन कार्यालय के लोगों के मिले होने के चलते उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी।

पूरा प्लान तैयार उप निबंधक ने किया और फिर अवकाश पर चले गए। अवकाश पर जाना तो एक साजिश थी और वह अपने आवास से ही कर्मचारियों को निर्देश देते रहे। लगातार उनकी बात जिला पंचायत अध्यक्ष से होती रही। इसका पूरा साक्ष्य पुलिस के पास है।

इसके अलावा पुलिस को कई साक्ष्य मिले हैं, जिसके बाद पुलिस ने इतना बड़ा कदम उठाया और फिर अधिकारियों को ही जेल भेज दिया। हालांकि एसपी के इस कार्रवाई से प्रशासनिक अधिकारी नाराज नजर आ रहे हैं। एसपी का मानना है कि ऐसी जांच हमारे द्वारा की गई है कि अगर मामला सीबीआइ के पाले में भी जाए तो कोई अंगुली नहीं उठ सके।

कुछ अन्य अधिकारी पर भी गिर सकती है गाज

जिला पंचायत अध्यक्ष की गिरफ्तारी भले ही नहीं हो पाई है, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष के गलत कार्य में सहयोग करने वाले अधिकारियों पर पुलिस का शिकंजा कसता नजर आ रहा है। एसपी के निर्देश पर उप निबंधक समेत अन्य को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, लेकिन मामला यहीं ठंडा होता नजर नहीं आ रहा है। सूत्रों का कहना है कि कुछ और अधिकारी भी जांच के घेरे में हैं। ऐसा लगता है कि जल्द ही उनके खिलाफ भी एसपी की गाज गिर सकती है और उनको भी 120 बी के तहत सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है।


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